पं.अभिषेक शर्मा   (पं.अभिषेक शर्मा ✍)
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एक देशभक्त,प्रेमी,पागल, और कवि सब एक जैसे होते है
Joined 2 May 2018


एक देशभक्त,प्रेमी,पागल, और कवि सब एक जैसे होते है
Joined 2 May 2018

अपने बल से मर्यादित हो खेती करना जानते है
मिट्टी माँ है,कृषि प्राण है दुनिया को भोजन देते है
हम वंशज बलराम के , बंजर को हरित कर देते है
इसीलिए हम जय भूमि के गीत भी गाते रहते हैं

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आप के चप्पल मांगने की ज़िद पर
*किसी के पैर नहीं* कहने वाले
ये वही लोग है जो आपको
कहीं का नहीं ..रहने देने वाले
और आप की जिंदगी में
निराशा ही भरेंगे हर रोज
ये चंद लोग आपकी ...खुशियों का गला घोंटने वाले


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और बिखर जाएगी
जिंदगी अगर जुल्फें है तो बिखर जाएगी
और न जाने फिर किधर जाएगी...?

हां अगर समेटे हर एक कौने से तो बसर जाएगी
जुल्फ हो या जिंदगी.. संवर जाएगी

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जीवन में संत्रास बहुत है
लेकिन मुझमें आस बहुत है
हालातों को नोचकर
हम खुशियां छीन लाते हैं
हम वो है..जो दर्द में मुस्कुराते हैं 😊

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मन की उथल पुथल लिख दूं में
बीत रहा.. वो पल लिख दूं में
लिखने को तो लिख डालूं
जीवन की सच्चाई को
पर में सोच रहा हूं कैसे
हालातों को... लिख दूं में


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स्याही में भरके , कलम की नोक से
कागजों की ज़मीन पर मारे है कई किरदार मैने
मगर ये सब दर्ज है शब्दों में,कहानी में

और मेरी गुजरती हुई जवानी में

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मेरे तन के रक्त से लिख
मगर मेरी कहानी अधूरी न लिख...

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खुशियों का अंबार है
जगमग सारा संसार है
अपने मन की व्यथा हटा
और मिटा अंधकार है
ये रोशनी का त्यौहार है

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मेनहत के वृक्षो पर फल निकलेंगे
परिणाम ऊंचे है तो हल निकलेंगे
लिखने को ,कहने को अभी बहुत कुछ है बाकी
संघर्षों के साए में आयाम सफल निकलेंगे

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जिसने मरने का सोचा होगा
उसने सिर्फ मरने का थोड़ी न सोचा होगा
उसने कुछ और भी सोचा होगा....

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