तुम हर परत को समझ न
पाओगे
है मुश्किल समझना पर
नामुमकिन नहीं
पर मेरे लिए वो वक्त कहां से
लाओगे
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अब और वक्त ज़ाया ना कर पाऊंगी
सुकून की आदत सी हो रही हैं मुझे
अब अपने सुकून को किसी और के
इंतजार में न गवाऊंगी-
ढूंढ लिया है खुद को एक ज़माने के बाद,
की गुनगुना रही हूं कोई गीत एक तराने के बाद
लोग क्या कहेंगे इसकी परवाह अब नहीं हैं मुझे
बेपरवाह सी हो गई हूं आइना छुपाने के बाद
ना शिकवा किसी से ना शिकायत कोई,
खुश हूं में खुद को अपनाने के बाद,
ढूंढ लिया है खुद को एक ज़माने के बाद..
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जो भी करूंगी दिल से करूंगी
आगे भी कोशिश करती रहूंगी,
क्या हुआ अगर नाकामयाब हुए हम,
हर एक गलती से सीख कर आगे बढ़ती चलूंगी..
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वक़्त बहुत कुछ सिखा देता है,
अंजानो की भीड़ में अपनों से मिला देता है।
हो गई मुश्किल आसान
जब वक़्त को थोड़ा वक़्त दिया हमने,
बेसब्री के आलम में अपनों तक को ये अनजान बना देता है।।-
शायद बात बन जाये,
है गर रास्ता तो मंजिल भी होगी
क्यो न रास्तो में चलकर मंज़िल
तक पहुँचा जाये।-
कभी ख़ुशियों की बरसात
तो कभी मुश्किलो की
कड़ी धूप है तू,
कभी ऐसी है तो कभी
वैसी है तू,
है चाहे जैसी भी पर
मेरी अपनी है तू।-
आज फिर यारों की यारी याद आई है,
हो सके तो एक प्याली चाय के साथ
मिल जाए वो यार हमारे,
जिनके ख्याल से ही चेहरे
पर मुस्कुराहट लौट आई है।-
हम चुप चाप ही चले जाएंगे,
जहाँ ज़रूरत नहीं हमारी
हम अपनों में क्या गैरों मैं
भी नज़र ना आएंगे।
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ख्वाहिशों का खेल भी निराला है
पूरी होने की उम्मीद मैं
पूरा जीवन निकाल डाला है।
हो जाये जो पूरी तो वो
ख्वाहिश कैसी,
हमने अपने हाथों से ख्वाहिशों
को मार डाला है।-