क्या तुम जानती हो ? जब तुम मेरे करीब आती हों मुझे अपनी ओर खिंच लेती हो तेरे होठों की मिठास चुमने देती हो जो तड़प उठती हैं दिल में क्या तुम जानती हो??? जब तेरे बदन का स्पर्श मिलता है मेरी रूह खडी़ हो जाती है जब तेरा चेहरा मुस्कुराता है मुझे सुकून मिल जाता है। क्या तुम ये जानती हो??? नहीं जानती हो तो मुझे वो रात दे दो जहाँ मैं तुझमें खो जाऊँ और तु मुझे पा ले मैं खुद को तुझे सौप दूं तेरी तृष्णा बढ़ा कर तुझे चुमता जाऊँ तेरी चाहत में खोता जाऊँ और खोता जाऊँ बस तेरा होता जाऊँ बस तेरा होता जाऊँ।।
कुछ पूछना हो तो तेरी आंखों से कह कुछ कहना हो तो अपने होंठों को मेरे बदन पर फेर कर कह कोई शिकवा हो तो बैचेन करके बता हो इश्क तो मुझे खुद में छुपा के बता की ये हर बात को जुबा से कहना ज़रूरी है क्या
कुछ बैचेनियां हैं कुछ बेताबियां हैं इन अंधेरी रातों में लिखी कुछ कहानियां हैं और जब दिखीं चंद्रमा की लालिमा तब एहसास हुआ काश के जिंदगी आसान होती ये दिल ना कोई ख्वाब बुनता ना कोई परेशानी होती बस खुशियों से भरी कहानी होती मगर कहां चलता सब कुछ हमारे तरीकें से हर राह पर जिंदगी हुनर सिखाती जिंदगी जीने का फिर कहां से तेज रहेगा पहले सा
वो रूठी जो हमसे तो हमने मनाया नहीं बेरुखी थी चेहरे पे जो उसके उसने हमको बताया नहीं प्यार दिल में था बेशुमार हमारे हमने भी उसको बताया नहीं इन चुप्पियों ने तोड़ दी दिल की बातें कई दिल ने भी ये किसी को बताया नहीं टूटे दिल जो मिले जा कर कहीं तो दिल ने दिल को बताया वही जो ना कह सका जूबं कभी इन रंजिशों ने दिल को रुलाया हैं इन्हीं रंजिशों ने दिल को बुलाया हैं तुम ना होते जो खफा़ कभी बारिश होती इश्क की वहीं मिल जाते २ पंछी कही तो छूपा लेते बादलों में कहीं जी भर के पा लेते खुशियां वहीं भुल जाते रंजिशे सभी!!!!