मुसकान बयां कर रही हैं खुबसूरती चेहरे की
चेहरा मुसकुरा रहा है जैसे खूशबू बिखर रही हो फूलों की-
अब राहें आसान हो तो मज़ा नहीं आता।।
दिलों को जो छू जाएं तेरी बातें
उसे मैं जुबां से कह दूंगा
बेवक्त तुझे इतना प्यार करूंगा
की वक्त देखना भुला दूंगा।।
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कुछ पूछना हो तो तेरी आंखों से कह
कुछ कहना हो तो अपने होंठों को मेरे बदन पर फेर कर कह
कोई शिकवा हो तो बैचेन करके बता
हो इश्क तो मुझे खुद में छुपा के बता
की ये हर बात को जुबा से कहना ज़रूरी है क्या
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जो पल फ़ुरसत के मिलते
तो तेरी तस्वीर बना देता
तेरी यादों के सहारे जीता हूं
काश तेरी यादों से ताजमहल बना देता
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कुछ बैचेनियां हैं
कुछ बेताबियां हैं
इन अंधेरी रातों में
लिखी कुछ कहानियां हैं
और जब दिखीं चंद्रमा की लालिमा
तब एहसास हुआ
काश के जिंदगी आसान होती
ये दिल ना कोई ख्वाब बुनता
ना कोई परेशानी होती
बस खुशियों से भरी कहानी होती
मगर कहां चलता सब कुछ हमारे तरीकें से
हर राह पर जिंदगी हुनर सिखाती
जिंदगी जीने का
फिर कहां से तेज रहेगा पहले सा
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तेरी मुस्कान से रूबरू हुए ही थे
की तेरी निगाहों ने मार डाला
संभाल पाते खुद को कही
जो इश्क ना हुआ होता मझधार में
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वो रूठी जो हमसे
तो हमने मनाया नहीं
बेरुखी थी चेहरे पे जो उसके
उसने हमको बताया नहीं
प्यार दिल में था बेशुमार हमारे
हमने भी उसको बताया नहीं
इन चुप्पियों ने तोड़ दी
दिल की बातें कई
दिल ने भी ये किसी को बताया नहीं
टूटे दिल जो मिले जा कर कहीं
तो दिल ने दिल को बताया वही
जो ना कह सका जूबं कभी
इन रंजिशों ने दिल को रुलाया हैं
इन्हीं रंजिशों ने दिल को बुलाया हैं
तुम ना होते जो खफा़ कभी
बारिश होती इश्क की वहीं
मिल जाते २ पंछी कही
तो छूपा लेते बादलों में कहीं
जी भर के पा लेते खुशियां वहीं
भुल जाते रंजिशे सभी!!!!
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जिसकी मुस्कुराहटों पे ये दिल तबाह हुआ
उसी से हर पल प्यार हुआ
इसी बात पे ये हाल हुआ
जो ना होती बात कभी
तो सोचो कैसे होती रात हसीं
दिल ना लगता तुमसे तो
सुबह ना होती खास कभी
वो शाम को ना आती काॅल कभी
जो ना होती तुम हमारी कभी
दिल की बातें सिर्फ हम जानते हैं
लब्बों की बातें सब जानते हैं
ऐसे इश्क में डूबे हैं
की जग भूले बैठे हैं
हर लम्हा पहला एहसास है
वो काॅल पे कहीं गई बातें क्यूं इतनी खास हैं
कुछ तो बात है
यूं ही नहीं हम खास हैं
हमारे साथ तुम्हारा जो साथ है
आदत बहुत खराब है
क्या तुम्हारी धमनियों में बहता
राज का नाम है
जो करती इतना प्यार है ॽ
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तू आंसू देख सकता है
मगर इन्हें पोंछ नहीं सकता
यहां जितने भी आशिक है
तू उन्हें रोक नहीं सकता
दिलों में आग कैसी है
ये तू दिलवालों से पूछ लेना
मैं उसकी तस्वीर को चाहूं
तो तू इसे अंधविश्वास समझ लेना
मैं अक्सर टूट कर लिखता हूं
क़िस्से मोहब्बत के
जो मैं बार-बार टूट जाऊं
तो मुझे कमजोर ना समझ लेना
चंद पंक्तियों में, मैंने कह दी
दिल की सारी बात आज
जो तू समझ ले तो मुस्कुरा देना
जो ना समझे तो भूला देना-