🪷प्रेम-भाव 🪷
रूह तेरी राधा
हृदय तेरा कृष्णा है
एक दूजे बिन जीवन नहीं
ऐसे जीवन से क्या फिर लेना है
तु निस्वार्थ प्रेम
तु ही प्रेम का अहसास है
तुझ बिन कल्पना नहीं
हृदय का शहर फिर सूना है
दूरी को कहे क्या
दूरियों से तार कोई जुड़ा है
हो न जो मन में अहसास नहीं
दूरियों ने चैन फिर छीना है
यादों का आना जाना
यही तो प्रेम की दृढ़ता है
हृदय में जब तेरी याद नहीं
ऐसे भी फिर क्या जीना है-
पिता है प्रकाश पुंज तो माता है उसकी आभा,
एक दूजे के बिन जीवन का सूरज कहां है जागा।-
मेरे हर वादो पर रूठी है दुनिया
अब मैं वादा करता भी नहीं और निभाता भी नहीं-
|| कलम की नोक पर ||
पूछता हूँ तुमसे, क्या मैं तुम्हारी
कलम की नोक बन सकता हूँ
या कलम का वह स्थान दे दो
जहाँ तुम प्रथम अंगुली से व अंगूठे से
कलम को पकड़ती हो
तुम्हारे सदैव करीब रहने के लिए
सम्पूर्ण कलम ही बनना चाहता हूँ
किन्तु सम्पूर्ण कलम बनने से डरता हूँ
क्योंकि कलम की रिफिल में यदि
स्याही समाप्त हो गई तो
तुम कहीं कलम को कचरे के
डिब्बे में ना डाल दो
तुम्हें यह आभास भी नहीं होगा की
वह खाली कलम में ही हूँ
फिर लगता है कलम को
कचरा घर में ना डालकर
कलम की रिफिल बदलकर
खाली रिफिल को ही फेंक दिया तो
ये तो ऐसा हो जायेगा
जिस्म से जान को अलग कर देना
नहीं अब मैं कलम नहीं बनुंगा
तुम्हारी कलम जब भी उठेगी
कलम की नोक पर बन जाना है
शब्द, जीवन और अभिव्यक्ति-
इन ढ़ाई अक्षरों में बहुत दम था,
जिन्दगी पूरी करते करते अधूरी कर गये !
समझ बैठते है मोहब्बत जिसे,
मौसमों की तरह आकर दिल से गुज़र गये !!-
क्या सर्द रातें और क्या सर्द सुबहें ,
जब दिल में इश्क़ की आग जल रही हो ।-
खुद के होने का अहसास मतलब की कुछ तो वजूद है अपना
तुझसे ही जिन्दा है अहसास वरना दिल मानता किसे है अपना-
जब ज़िन्दगी हर दुःख दर्द की सीख देती है तो
इक दिन ज़िन्दगी ही इन सब से मुक्त कराती है-
ख्वाब तो सोने के बाद
कभी कभी आ जाते हैं
खुली आँखों से देखे गये ख्वाब
क्या सच होते हैं
करना है इंसान महनत इतनी
हर वक्त असफल होने पर
क्या इंसान ख़्वाब देखना छोड़ देता है
नहीं, इंसान ख़्वाब देखना नहीं छोड़ता
वह कोशिश करता है
पूरी कोशिश करता है
और तब तक कोशिश करता है
जब तक असफलतायें
इंसान को मजबूर न कर दे
कि उसे कोई ओर दूसरा रास्ता चुनना ही पड़ेगा-