ख्वाब तो सोने के बाद
कभी कभी आ जाते हैं
खुली आँखों से देखे गये ख्वाब
क्या सच होते हैं
करना है इंसान महनत इतनी
हर वक्त असफल होने पर
क्या इंसान ख़्वाब देखना छोड़ देता है
नहीं, इंसान ख़्वाब देखना नहीं छोड़ता
वह कोशिश करता है
पूरी कोशिश करता है
और तब तक कोशिश करता है
जब तक असफलतायें
इंसान को मजबूर न कर दे
कि उसे कोई ओर दूसरा रास्ता चुनना ही पड़ेगा
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