कल रात, ना जाने ये कैसा ख्वाब आ गया
जो कभी मेरे साथ, था ही नहीं, वो मैंरे ख्वाब में आ गया— % &-
Dekha use to madhosh sa me ho gaya
Hosh me to tha hi nhi
Behosh sa mai ho gaya— % &-
साथी नहीं तो सारथी बन
हों सके तो आदमी बन
जब कभी वो भटकने लगे राह अपनी
तो भटके हुए राही का साथी बन
हों सके तो आदमी बन
साथी नहीं तो सारथी बन
हों सके तो आदमी बन— % &-
बहुते खाए छप्पन भोग राधे कुछो मनको ना भाए
मोहे तो बस राधा का जूठन भाए
।।राधे राधे।।-
यो तो चार दिवारी का कमरा था
मैंरी बेटी का कदमा ने यो राज-महल बना दिया
मैरा बापू बना दिया सहंशा और मैं राजकुअर बनादिय।
कदे दादा दादी की पोती,मम्मी पापा की बेटी ते कभी चाचा मामा की लाडली करके उनकी शिकायत आया करे
इब इन लोगा ने कोन समझावे बेटी नसीबा आला के घर आया करे।-
तुम मानती हों इसलिए मुझें मानना पड़ता हैं
तुम्हारे ये रीति रिवाज,विधि विधान,मान अपमान और ऊच नीच ये सब माया हैं
मैं तो वैरागी हूं मैं भूत में राहु यां वर्तमान क्या फर्क पड़ता हैं-
Kya bat hai, kuch bat hui hai
Vo kya haina, tumhe kbhi ese dekha nhi
Kya bat hai, kuch bat hui hai
Apno se, ya kisi apne se kuch bat hui hai
Kya bat hai, kuch bat hui hai-
मैं किसी के ख्याल में
मैं किसी के ख्वाब में हूं
मत पूछ मेरा हाल मैं किसी की याद में हूं-
ऐ खुदा यू बेवजह बारिश ना कर
उसे याद दिलाने की साजिश ना कर
तुझे मालूम हैं बारिश आने पर याद सताने लगती हैं मुझे मेरी
मुझे यू सताने की साजिश ना कर
खुदा यू बेवजह बारिश ना कर
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तेरे जाने के बाद हमने कभी कुछ नहीं लिखा
हां अगर कभी कुछ लिखा भी तो अश्कों की कतारों से नहीं लिखा
तेरे जाने के बाद इन आंखों में अश्कों की स्याही का एक कतरा तक नहीं बचा
तेरे जाने के बाद हमने कभी कुछ नहीं लिखा-