हम लड़के भी जीना जानते है।
हम हारकर मुस्कुराना जानते है।।
जिन्दगी को छोटा करना जानते है।
हाँ हम भी सवरना जानते है।।
हम तकलीफ़ों को सहना जानते।
हाँ हम भी रोना जानते है।।
हम भी तहज़ीब में रहना जानते है।
वो हम भी खुद्दारी से जीना जानते है।।
माना के कुछ में ऐब होते है।
पर हम उनको छुपाना जानते है।।
झूठ बोलते है हम,हमें पता है।
पर हम घर छोड़ने वाले भी सच बोलना जानते है।।
इज्ज़त बाक़ायदा करते है सभी की।
अरे सुनिए हम भी इज्ज़त देना जानते है।।
हम रिश्ते निभाते है बहुत अच्छे से।
हम घर छोड़ने वाले भी प्यार देना जानते है।।
मरने की बातों के ख़याल भी आ जाते है।
पर हम अकेले इन बातों से ऊपर उठना जानते है।।
अरे वो कौन है जो बतचलन कहता है हमे।
उनसे कह दे आप हम घर से दूर रहकर भी चलन में रहना जानते है।।
कौन कहता है कि व्यवस्थित न रह सकते हम।
हम घर छोड़ने वाले अपनी ज़िंदगी,एक कमरे जितनी करना जानते है।।-
मेरी आंखों ने दिल से बात छेड़ी है,
हुई पंचायत तुम्हारी सादगी पर।
फैसला हुआ पंचायत का,
जान ना ले लो शायर का।-
मुझे दोबारा इश्क की बीमारी ना होती
जो तुम इतनी प्यारी ना होती।
जिसको मेरा हाथ पकड़ना चाहिए
वो मेरी गलती पकड़ी बैठी है
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सुहानी सी लड़की थी, दूर अकेले खड़ी थी।
मुझे लगा उसके पास जाए
वो किसी और के साथ खड़ी थी।-
किसी सूरज से निकलेंगे, जमीन पर ताप छोड़ेंगे।
लौटेंगे ऐसा.. जमाना याद रखेगा, हम ऐसा छाप छोड़ेंगे।।-
आज हर घड़ी दिल पूछता रहा,
पियूष वो तुम्हारी दोस्त आज कहा है,
जो कहती थी हमारी दोस्ती कभी टूटेगी नही
तुम नाराज़ बैठे हो उससे, और शायद अनजान बैठी होगी तुझे-
सुनो पियूष.....
वो पिता है तुम्हे सुनने के लिए वक्त नहीं है
वह भाई है, हरकतों से नादान है उसके समझ के बाहर हो
जो समझ सकता था, मां वह खुद हार्ट पेशेंट बन बैठी है
तुम्हारी बातें उनको फालतू लगेगी ऐसे दोस्त है तुम्हारे
पियूष तू किस्से कहेगा अपनी प्रॉब्लम,
जब कोई सुनने को तैयार नहीं.....-
Happy Birthday Papa ji 🎂
👨👦
फिर से हाथ थाम लो, मेरा
जिंदगी के राह में मेरे कदम डगमगा रहे है 😞-
जख्म गहरा हो चुका है,
मरहम भी घाव का काम कर रही है 😞
ज़िंदगी जेल लग रही है।
लोगो के बातें अब किसी तलवार सा लग रहे है-