Piyush Ubale   (Shabdbdrangi_Fulpakhru)
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Joined 18 September 2018


Joined 18 September 2018
21 MAY AT 11:43

और उससे ऐसा लगाव हुआ,
जो पहले कभी किसी से न हुआ था।
इसे प्यार कहूँ या लगाव,
समझ नहीं आता।
जब भी वह सामने होती है,
उसकी आँखें इस दिल को
हर बार एक सुंदर ख्वाब दे जाती हैं।
जो बिना किसी तैयारी के
इस दिल पर जादू कर जाता है।
पता नहीं, यह चाहत है या प्यार।

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13 APR AT 14:40

आपकी यह नाराज़गी
इस दिल को जैसे कमज़ोर
कर रही है।
आपकी इस नाराज़गी का
कारण मुझे ज्ञात ही नहीं है।
ऐसी क्या ख़ता हुई है
मुझसे, वह बता भी दीजिए।
आपका यह गुस्सा कभी-कभी
इस दिल को तोड़ देता है।
आपकी हँसी भी मेरे और
इस दिल के लिए एक अनमोल निधि है।
मुझसे कोई ख़ता हुई है
तो मुझे माफ़ कर दीजिए,
यह अर्ज़ी लेकर आया हूँ।

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13 APR AT 14:31

जैसे लगे है इस जिस्म पर,
जो भर कर भी उसके
निशान कभी नहीं छूटे।
ज़ख्म दिए भी तो उसने,
जिससे कभी दिल लगाया।
मेरी राहें हैं या मेरी फूटी किस्मत,
जिससे मेरा ये हाल हुआ।
साथ ही माँगा था मैंने,
उसने तो जैसे इस दिल को
अपनी बातों से ही
चकनाचूर कर दिया।

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10 APR AT 16:51

हाय, आपका आना इस दिल को
जैसे एक सुकून दे जाता है।
आप तो जैसे हमें कभी कभी
भूल ही जाते हो कि
कोई तो है जो आपकी
एक झलक के लिए
आज भी राह तक रहा है।
वो दोस्त है या आशिक़,
पता नहीं, पर आपका यूं
आना इस दिल को एक
सुकून की ठंडी हवाओं
का झोंका आया हो।

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10 APR AT 16:47

आज आपका यूँ हँसना हमें कुछ
समझ में नहीं आया।
हर बात पर आप हँसती हो,
अच्छा लगता है पर
सोच में पड़ जाते हैं कि
आप बातों पर हँस रही हो या
इस कम्बख़्त बेचारे दिल पर जो
आपके सामने हर बार अपनी बात
हर बार पेश करता रहता है...
हर बार यही सवाल आता है,
पता नहीं क्यों...?
कहीं आप इस कम्बख़्त बेचारे दिल
से ही बात करना छोड़ दिया हो।

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22 MAR AT 16:20

तुम्हारा वो प्यारा चेहरा,
जो नींद में भी गुलाब सा,
खिला हुआ लगता है।
उसे देखो तो, वो है खूबसूरत,
और वो नींद में हो तो,
वो एक छोटी बच्ची हो,
तुम्हें देख ये पिघला हुआ,
दिल भी और एक बार पिघल जाता है।
तुम्हें देख कर ये नींद जैसे,
इन आँखों को छू जाती है।
तुम्हारा ये प्यारा सा चेहरा,
देखने के लिए ये दिल तुम्हारा
गुस्सा और गालियाँ सुनने के,
लिए भी तैयार बैठा है...

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19 MAR AT 11:37

तुमसे दूर होना इस दिल
को कभी मंजूर नहीं था।
तेरे ख्यालों में जैसे ये दिल
इतना उलझ गया था,
एक वक्त के लिए लगा ही था कि,
जैसे तुम ही थे जो इस दिल की
हर बात समझ सकते हो,
तुम ही थे जो इस दिल
को सुकून दे सकते थे।
आज तुम नहीं तो ये दिल
बेचैन होकर तुम्हें ही ढूंढ रहा है,
क्या ये तुम्हारी यादें हैं या मेरा कोई वहम,
जो आज भी इस दिल को तेरे साए में
महसूस करता रहता है?
तुमसे दूर होकर भी ये नादान दिल,
पता नहीं क्यों तुमसे लगाव रखता है,
इस दर्द भरे दिल को जैसे सुकून दे जाता है।
आज तुमसे दूर होकर भी,
इस दिल के करीब हो तुम।

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5 MAR AT 20:57

जो कभी पता ही न चले
जिसे दिखे वो सुकून में रहे
ख्वाब एक ऐसी दुनिया
जो दिख जाए तो
दिन का सारा तनाव
कहीं दूर चला जाए।
जैसे ये ख्वाब रात में
खुशी माहौल बना दे और
दिन में वो सपना भी खुशी का
या डर का माहौल बना दे।

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4 MAR AT 10:54

कुछ बोल सकता हूं
तुम्हें कैसा लगेगा पता नहीं
पर तुमसे कुछ पूछना है।
तुम्हारे ज़बाब का इंतजार रहेगा
तुम मेरी दोस्त बनकर रहोगी
या ऐसी हवा में छोड़ दोगी?
तुम्हें प्रपोज करना चाहता था
की तुम जिंदगी भर के लिए
मेरी दोस्त बनके रहोगी?

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28 FEB AT 19:10

काहींसाठी खेळच झाला आहे..
संसार हा एक वेळ लहानपणीचा
खेळ म्हणून राहिला होता...
जसे जसे मोठे झालो तसे हा
आयुष्याचा एक महत्त्वाचा भाग आहे
तरी काही हा खेळच समजून चालत आहे,
नातं हे टिकवायचे, जपायचे आहे त्या वेळीचं
ते नाते तोडण्यास तयार असतात
फक्त कारण कसले माहित नाही
पण क्षुल्लक वाद सुद्धा यांना तोडून जातो
कधी कधी एक लहान बाळाची भांडण
आणि आत्ताचे प्रेमप्रकरण
एकसारखीच झाली आहे म्हणा

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