तिचा शब्द न शब्द,
तुझ्या सहवासातच गुंफलेला आहे.
आजही तुझी साथ आणि तुझा तो
सहवास माझाच होऊन राहिला आहे.
तूझा माझा हा प्रवास उद्या
एका नव्या बंधनात बांधून,
एका नवीन जिवनाची सुरुवात करेल.
माझ्या प्रत्येक सहवासाचा अर्थ तू,
माझी संगिनी आणि होणारी अर्धांगिनी,
माझ्या आयुष्यातली एक साथीदार आणि
तू माझ्या प्रत्येक श्वासाचा भाग आहेस.-
दुरावलेली ती आस
तुझा तो राग, तो रुसवा,
ती काळजी, तुझा स्वभाव;
नकळत आजही मला
तुझ्या आठवणीत गुंतवून,
त्यातून मुक्त करतो.
नकळत का आजही कळत नाही,
नेहमी तुझीच आठवण येते मला?
नात्यांच्या या अनोळखी व्यक्तींनाही
कधी सोबती ठेवले नाही मी;
परंतु तू कशी भेटलीस,
शब्द जुळले, भावना जुळल्या,
प्रतिक्रिया आणि वाद होत गेले.
का जणू तुझ्यातच मी इतका
गुंतलो की, माझी ती
अनोळखी धाराच निखळली.
तुझे असे अचानक येणे, जणू
माझे आयुष्य न सांगताच बदलून गेले...-
ये बेवकूफ बना हर बार आज
को मानने के लिए तैयार
ही नहीं होता।
जब भी कुछ अच्छा होता है,
पता नहीं क्यों, ये खुद को
कोसता रहता है।
जैसे कि पुरानी यादें
दिल में खालीसी जगह
छोड़ गई हों।
अतीत की यादें भी
बड़ी अजीब होती हैं, है ना?
कभी-कभी हमें कुछ सिखा जाती हैं,
तो कभी बस रुला देती हैं।-
और उससे ऐसा लगाव हुआ,
जो पहले कभी किसी से न हुआ था।
इसे प्यार कहूँ या लगाव,
समझ नहीं आता।
जब भी वह सामने होती है,
उसकी आँखें इस दिल को
हर बार एक सुंदर ख्वाब दे जाती हैं।
जो बिना किसी तैयारी के
इस दिल पर जादू कर जाता है।
पता नहीं, यह चाहत है या प्यार।-
आपकी यह नाराज़गी
इस दिल को जैसे कमज़ोर
कर रही है।
आपकी इस नाराज़गी का
कारण मुझे ज्ञात ही नहीं है।
ऐसी क्या ख़ता हुई है
मुझसे, वह बता भी दीजिए।
आपका यह गुस्सा कभी-कभी
इस दिल को तोड़ देता है।
आपकी हँसी भी मेरे और
इस दिल के लिए एक अनमोल निधि है।
मुझसे कोई ख़ता हुई है
तो मुझे माफ़ कर दीजिए,
यह अर्ज़ी लेकर आया हूँ।-
जैसे लगे है इस जिस्म पर,
जो भर कर भी उसके
निशान कभी नहीं छूटे।
ज़ख्म दिए भी तो उसने,
जिससे कभी दिल लगाया।
मेरी राहें हैं या मेरी फूटी किस्मत,
जिससे मेरा ये हाल हुआ।
साथ ही माँगा था मैंने,
उसने तो जैसे इस दिल को
अपनी बातों से ही
चकनाचूर कर दिया।-
हाय, आपका आना इस दिल को
जैसे एक सुकून दे जाता है।
आप तो जैसे हमें कभी कभी
भूल ही जाते हो कि
कोई तो है जो आपकी
एक झलक के लिए
आज भी राह तक रहा है।
वो दोस्त है या आशिक़,
पता नहीं, पर आपका यूं
आना इस दिल को एक
सुकून की ठंडी हवाओं
का झोंका आया हो।-
आज आपका यूँ हँसना हमें कुछ
समझ में नहीं आया।
हर बात पर आप हँसती हो,
अच्छा लगता है पर
सोच में पड़ जाते हैं कि
आप बातों पर हँस रही हो या
इस कम्बख़्त बेचारे दिल पर जो
आपके सामने हर बार अपनी बात
हर बार पेश करता रहता है...
हर बार यही सवाल आता है,
पता नहीं क्यों...?
कहीं आप इस कम्बख़्त बेचारे दिल
से ही बात करना छोड़ दिया हो।-
तुम्हारा वो प्यारा चेहरा,
जो नींद में भी गुलाब सा,
खिला हुआ लगता है।
उसे देखो तो, वो है खूबसूरत,
और वो नींद में हो तो,
वो एक छोटी बच्ची हो,
तुम्हें देख ये पिघला हुआ,
दिल भी और एक बार पिघल जाता है।
तुम्हें देख कर ये नींद जैसे,
इन आँखों को छू जाती है।
तुम्हारा ये प्यारा सा चेहरा,
देखने के लिए ये दिल तुम्हारा
गुस्सा और गालियाँ सुनने के,
लिए भी तैयार बैठा है...-
तुमसे दूर होना इस दिल
को कभी मंजूर नहीं था।
तेरे ख्यालों में जैसे ये दिल
इतना उलझ गया था,
एक वक्त के लिए लगा ही था कि,
जैसे तुम ही थे जो इस दिल की
हर बात समझ सकते हो,
तुम ही थे जो इस दिल
को सुकून दे सकते थे।
आज तुम नहीं तो ये दिल
बेचैन होकर तुम्हें ही ढूंढ रहा है,
क्या ये तुम्हारी यादें हैं या मेरा कोई वहम,
जो आज भी इस दिल को तेरे साए में
महसूस करता रहता है?
तुमसे दूर होकर भी ये नादान दिल,
पता नहीं क्यों तुमसे लगाव रखता है,
इस दर्द भरे दिल को जैसे सुकून दे जाता है।
आज तुमसे दूर होकर भी,
इस दिल के करीब हो तुम।-