शांत मन बैठा है उम्मीद लिए तेरे दरे दीद पर लूट जाउफिर फलक याद आता है घरतु हि बात कैसे मुकर जाउ #@Soni -
शांत मन बैठा है उम्मीद लिए तेरे दरे दीद पर लूट जाउफिर फलक याद आता है घरतु हि बात कैसे मुकर जाउ #@Soni
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मन मैला और तन भी मैला, नियत में खोट तेरी।सामने से बने है दर्पण, पीठ पीछे खंज़र लिये।सर्प दंश का अंश हो, मधु अंश का चरित्र लिये। #@ मानव (Soni) -
मन मैला और तन भी मैला, नियत में खोट तेरी।सामने से बने है दर्पण, पीठ पीछे खंज़र लिये।सर्प दंश का अंश हो, मधु अंश का चरित्र लिये। #@ मानव (Soni)
तख्त ये चाँद का दीद लिये बैठे हो,होश भी है उसे इन निग़ाहों की बेबसी का।एक दीदार की तम्मना लिये, सोल श्रृंगार किये जैसे वो बैठे है। #@ Soni -
तख्त ये चाँद का दीद लिये बैठे हो,होश भी है उसे इन निग़ाहों की बेबसी का।एक दीदार की तम्मना लिये, सोल श्रृंगार किये जैसे वो बैठे है। #@ Soni
आवाज़ अब मेरी ख़ामोश सी होने लगी है क्यों कि अब उसे मेरे लफ़्ज़ चुभने लगे है @ Soni -
आवाज़ अब मेरी ख़ामोश सी होने लगी है क्यों कि अब उसे मेरे लफ़्ज़ चुभने लगे है @ Soni
बना कर उसे हथियार ,तूने खूब आज़माया ।जब तक जिंदा था वो उसे बुरा,मारने पर होनहार बताया! @soni -
बना कर उसे हथियार ,तूने खूब आज़माया ।जब तक जिंदा था वो उसे बुरा,मारने पर होनहार बताया! @soni
एक अनछुआ एहसास है,माँ जब पास है piyush soni -
एक अनछुआ एहसास है,माँ जब पास है piyush soni
परत दर परत एक चेहरा खुलता ही जा रहा हैन जाने क्या कशमकश होगीजो दर ब दर बदलता जा रहा है पियूष सोनी -
परत दर परत एक चेहरा खुलता ही जा रहा हैन जाने क्या कशमकश होगीजो दर ब दर बदलता जा रहा है पियूष सोनी
तेरी ज़ुल्फो ने इस क़दर बांधे रखा है मेरे मन को,जैसे बदलो ने बारिश को बांधे रखा है !soni_piyush -
तेरी ज़ुल्फो ने इस क़दर बांधे रखा है मेरे मन को,जैसे बदलो ने बारिश को बांधे रखा है !soni_piyush
हर उस शख़्स ने उसे आवारा-ओ-शहर वीरान समझाउसी के चहक से रौशन-ऐ-शहर है ये! #soni -
हर उस शख़्स ने उसे आवारा-ओ-शहर वीरान समझाउसी के चहक से रौशन-ऐ-शहर है ये! #soni
तमन्ना थी कि बैठूंगा आग़ोश में सर ऱखकर,मग़र कम्बख़त वो मुरीद किसी और का निकला ! #soni -
तमन्ना थी कि बैठूंगा आग़ोश में सर ऱखकर,मग़र कम्बख़त वो मुरीद किसी और का निकला ! #soni