यूं बार बार तुम्हारा आना जाना मेरी जिंदगी में कुछ ठीक नहीं...
देखो हर बार हम मौत से जीत जाए ये ज़रूरी नहीं......!!??
-
कि गुजर रही है ज़िंदगी तेरे ही उस शहर में...
था उजड़ गया जो बस एक लहर में ।।
मकान खंडर हो गए ...गलियां सूनी है ...
इंतजार आज भी है ... तू आए बाल सुखाने एक दोपहर में ।।-
अब शिकायत हमें उनसे नहीं उनके वक़्त से है....
उसने कहा था वक़्त मिलते ही जल्द मुलाक़ात होगी ।।-
मोहब्बत थी बहुत उनसे ....उन्हें देखे बग़ैर रात नहीं होती.....
अब ना ज़िक्र किया करो उनका हमसे ...सुनो अब हमारी बात नहीं होती ।।-
सवाल-जवाब का सिलसिला कुछ ऐसा चला.....
उसे बेगुनाह साबित करते करते खुद गुनहगार हो गए ।।-
की देखा चूड़ा..देखी मेंहदी..देखो लग रही उसके गालों पे हल्दी है ..
बहुत खुश है वो, कही बात हो रही ही है की शादी की बहुत जल्दी है ।।-
हां होगा महबूब तुम्हारा दिखने में हमसे बेहतर....
मगर फिर मोहब्बत की नसीहत तो मत दिया करो ..-
तुम जो आओ पास मेरे तो करीब से तुम्हे देख लूं ...
आंखों में तेरी खो जाऊ फिर बाहों में तुम्हे समेट लूं ..।।
तुझे हासिल न कर सकूं तो एक पल अपना बना लूं ...
उस एक पल की यादों फिर अपनी ज़िंदगी में सजा लूं...।।
-
मुस्कुरा देते है उसे खुश देख कर .....
फिर भी न जाने क्यों ये दिल रोने को करता है ।।
आज एक तस्वीर शादी के जोड़े में आई है उसकी ...
अब ये दिल हमेशा के लिए सोने को करता है।।
और यकीनन डोली उठेगी तुम्हारी हम जानते है
मगर कंधा हमें भी चाहिए अब सारे जमाने को रुलाने को ज़ी करता है ।।
की मुस्कुरा देते है तुम्हे खुश देख कर ...........।।
-
ये कैसे मंजर में फंस गए है हम ....
बिखरी मंजिल, भटके रास्ते ..बस खुद पे हंस रहे है हम ।।
न रही मोहब्बत किसी से और न किसी से दिल ही लगाया..
छूटा गांव, टूटे है रिश्ते .. अब अपनो के बीच बंट रहे है हम ।।-