बहुत देख लिया उड़के आसमान में
अब घोंसले में रहने की बारी है,
करनी अब वहीं से जीत की तैयारी है।-
दवा है, दुआ है! आंधी है या जलजला है?
तू जो भी है मेरा किया हुआ फैसला है।-
कितना भी संभाला फिर भी फिसल गए हम
बस तेरी सूरत देखी और सारी पुरानी बातें भूल गए हम..-
बुरे वक्त दे गये है काफ़ी अच्छी निशानियाँ,
आज जब गैलरी खोल बैठा
तो याद आयी वो सारी पुरानी कहानियाँ..-
आँधियों में भी जो दीये जलेंगे,
लाज़िमी है कि जलने वाले और जलेंगे।-
प्रेम आया हर बार मुझ तक यात्री बन,
स्पर्श कर मुझसे प्रेमी होने का प्रमाण मांगने।
छोड़ गया बेचैन मुझे हर बार,
प्रेमी से योद्धा बनने तक का सफ़र तय करने।।
युद्ध और योद्धा का तो पता नहीं,
भाव और शब्दों का संगम जरूर सीखा दिया इसने।-
जिंदगी के ये हसीन दौर मुद्दतों बाद मिली है
मैं इनका हर एक लम्हा निचोड़ लेना चाहता हूँ।
मैंने देखे हैं मुफलिसी के दिन बहुत
अब जेब भर पैसे बटोर लेना चाहता हूँ।
छोड़ा हैं मैंने गांव अपना
अब पराया शहर देख लेना चाहता हूँ।
शुक्र है कि पनाह दी तूने
वरना कहाँ मैं गैरों की मदद या फिक्र लेना चाहता हूँ।
बाबस्ता ये सफ़र कट जाए यूँ हीं
मैं अपने ख़्यालों को यहीं रोक लेना चाहता हूँ।-
हम-तुम जुड़े थे एक कविता से
इसलिए जुड़े रहेंगे चीर काल तक।
क्योंकि कविता उन्हीं लोगों को जोड़ती है
जो ना मिलकर भी मिल चुके होते हैं सदियों पहले।।
कविता से जुड़े लोगों के बस साथ बैठने से
रच जाता है इर्द-गिर्द खुशियों से भरा एक नया जहां।।
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खुद की फितरत बदल लेने वालों को,
हमारे बदल जाने से शिकायत है।
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ख्वाईश नहीं अब कुछ भी पाने की,
बस ज़िद्द है हद से गुज़र जाने की..-