6 MAR 2019 AT 0:24

लुढ़कते रहे बिन पेंदी मगर लोटा नही बन सके,
चले हर बाजार में सिक्का खोटा नही बन सके,
वो बुढ़ापे में भी कर गए तरह तरह के कारनामें
हम जवानी में भी अनूप जलोटा नही बन सके।

- पीयूष पराशर