Piyush Parashar   (पीयूष पराशर)
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Joined 31 December 2017


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10 MAY AT 8:40

कर्तव्य हँस कर या रो कर निभाना पड़ता है,
आँखों में आँसू भर के भी मुस्काना पड़ता है,
माना कठिन है कहना अलविदा अपनो को,
माँ भारती पुकारे जब फिर जाना पड़ता है।

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8 MAY AT 22:12

राष्ट्र के लिए आंखों में छिपे गुरूर का बदला लिए हैं,
तुम्हारे चेहरे से छीने हुए हर नूर का बदला लिए हैं,
हम सह के चुप बैठने वाले कायर भाई नहीं है बहन,
तेरी मांग के उजड़े हुए उस सिंदूर का बदला लिए हैं।

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4 MAY AT 23:38

ये साथ अब छूट जाने को है,
बंधन सारे अब टूट जाने को है,
निहार लेने दो जी भर के मुझे,
आखिरी मोड़ अब आने को है।

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4 MAY AT 23:34

माना कि तुम मेरी ही मोहब्बत हो,
तुम ही मेरी पूजा और इबादत हो,
मर्जी के बगैर तुम्हे छू नहीं सकता,
चूम लूं तेरे होठ अगर इजाजत हो।

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4 MAY AT 9:26

कैसे कह दूँ कि आती ही नही है तुम्हारी याद,
तुम नहीं होते तो जीवन में मिलता नही स्वाद,
मुझे मुस्कुरा के विदा करने की आदत है वर्ना,
आँखें भर जाती है अक्सर तेरे जाने के बाद।

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4 MAY AT 0:12

अधर धरे जब मेरे अधर पर,
हुआ असर पर मेरे हृदय पर,
हुए एकाकार दो बदन जब,
दोनों हुए पसीने से तर बतर।
वस्त्र विहीन पड़े बिस्तर पर,
खेल रहे हैं दोनों के ही कर,
आनंद रस में सराबोर होकर,
प्रेम नदी बह रही है झर झर।

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3 MAY AT 7:43

कठिनाई को जान के, मुश्किल को पहचान के
धीमे धीमे बढ़े चलो, साहस का दामन थाम के।
मंजिल पाने में थोड़ी दुश्वारी तो आएगी,
बोझिल होंगे दिन रातों को नींद न आएगी,
त्यागना होगा अपने अंदर की मस्ती को
तब जाकर सफलता पांव तेरे सहलाएगी।
मंजिल जब तक मिले नहीं, ना सपने देख आराम के
धीमे धीमे बढ़े चलो, साहस का दामन थाम के।

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2 MAY AT 23:16

आँखें उसकी कातिल है
भौंहे तीर कमान
शर्माती भी इतनी सुंदर
रख होठों पर मुस्कान।

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2 MAY AT 23:14

बिन मतलब गलियों में कौन टहलता है
यूँ बात बात पर बाँहो में कौन भरता है
चुप कराने के और भी तरीके होते हैं
होठों पर होठ रख चुप कौन करता है।

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2 MAY AT 23:08

उसकी आँखों में ऐसा जादू था,
बिन पिये ही हम शराबी हो गए,
चूमा उसने था मेरे होठों को
जाने क्यों गाल गुलाबी हो गए।

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