मुझे भी इश्क का इनाम चाहिए
मोहब्बत का मुझे भी दाम चाहिए
एक कप चाय,दो प्याली और
उसके साथ एक प्यारी सी शाम चाहिए !
चाहिए मुझे एक छोटी सी महफिल
उस महफिल में मुझे उसका नाम चाहिए
हो वो सिर्फ मुझपे फिदा
बाकी दुनिया से मुझे वो अनजान चाहिए !
चाहिए मुझे सादगी पसंद एक लड़की
साथ में शरारतों का एक दुकान चाहिए
जो दिल में दिमाग ना रखती हो
बस ऐसी एक नादान चाहिए !
मुझे भी इश्क का इनाम चाहिए
मोहब्बत का मुझे भी दाम चाहिए
एक कप चाय,दो प्याली और
उसके साथ एक प्यारी सी शाम चाहिए !-
Introvert
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नज़्म लिखें या एहसास लिखें..
सोचते हैं आज तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखें,
कब के बिछड़े थे तुम ये तो हमे याद नहीं |
पर सोचते हैं आज कि तुमसे मिल के,
कभी ना बिछड़ने की एक फ़रियाद लिखें |
ख्वाहिशें कब उतरी इन आँखों से ठीक-ठीक तो याद नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हे अपने आखों के ख्वाबों का सरताज लिखें |
नज़्म में कितने अलफ़ाज़ जरुरी हैं ये तो हमे मालूम नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपने लिए जरुरी अपनी सांस लिखें |
- पीयूष पाण्डेय-
मैं कहूं या ना कहूं की मैं ठीक हूं,
तुम समझ जाना बस...।।
मैं गुस्से में अनजाने में कुछ बोल जाऊं,
तो तुम मुझे प्यार से समझा देना बस...।।
मैं रूठ जाऊं तो दूर मत जाना तुम,
मुझे मना लेना बस...।।
मैं कभी गुस्से में कह दूं की मुझे कोई बात नहीं करनी,
कोई प्रॉब्लम है तुम समझ जाना बस...।।
मैं बोल दूं अगर दूर चले जाओ मुझसे,
मुझे गले से लगा लेना बस...।।
मैं कह दूं अगर कोई साथ नहीं है,
तुम हाथ थाम लेना बस...।।
अगर मैं गलती करूं कहीं तो तुम,
मुझ पर हक जता कर समझा देना बस...।।
मैं कहूं की मैं ठीक हूं,
तो तुम समझ जाना बस...।।-
इक चाँद हैं जमीं पर भी कहीं
खिले वो रोज चाहे मिले ना सहीं
बात हो रात की तो बात उसकी हो
पर वो आसमान में जरा आये तो सहीं
अपनी रोशनी से करे वो मेहफिल उजागर
उजले हम भी जरा तेरे साये में सहीं
चाँद रातों में चाँदनी की बरसात हो
रोशनी में भीगता तुम्हे देखें तो सहीं
बादलों की आड़ में वो पल भर मिलना
रात की खामोशी का वो जश्न ही सहीं
तुमसे जब बात हो रात ठेहरी रहे
ख़्वाब आते रहें नींद रुसवा ही सहीं
तेरी तारीफों में लफ्जों की कतारें लगा दे
तुम एक बार हमारा नाम पुकारो तो सहीं
उसमे और तुझमे ज्यादा फ़ासला नही है
दोनो ही मुझसे दूर हैं पर पास ही सहीं
सहर में जो तुम चले जाते हो कही
हक़ में हमारे तब जरा इंतेज़ार ही सहीं
इक चाँद हैं जमीं पर भी कहीं
खिले वो रोज चाहें मिले ना सहीं
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Nearly dozen terrorist crossed the sea,
Reached Mumbai, started their shooting spree,
Police loaded with lathis and guns quite old,
Became mute spectators, unable to hold.
The mayhem that rocked the nation,
Began with a gory onslaught at the CST station,
Soon Taj, Trident and Nariman House were captured,
And the inmates confined and tortured.
Those reporters showing everything from the field,
One militant caught and rest were killed,
NSG commandos were brought to end this impair
After sixty hours of tragic explosions and gunfire.
The media was on a competitive race,
Free to forge ahead in their respective space,
Pak had a role in this nerve wrecking play,
Is all that the then government had to say.
People across India was seeking for an explanation,
The government did best for its nation,
I was in state of shock sitting somewhere in Chhattisgarh,
Need a terror free world with a little privilege.
Tributes to the 26/11 Heroes
14th Anniversary of Mumbai Attacks-
खुबसूरती ने उनके कुछ यूं बवाल किया है
बरसते पानी से मानो जमीं ने सवाल किया है ।
कातिल निगाहों ने उनके कुछ यूं घायल किया है
दिल तो है पर मानो मेरा होने पर सवाल किया है ।
खनकती चूड़ियों ने उनके कुछ यूं बेहाल किया है
साहिल की बेकसी पर मानो लहरों ने सवाल किया है ।
सुर्ख होठों की लाली ने उनके कुछ यूं कायल किया है
जाम से छलकते शराब ने मानो लबों से सवाल किया है ।
दिलकश अदाओं ने उनके जीना कुछ यूं मुहाल किया है
तेज होती धड़कनों ने मानो दिल से सवाल किया है ।
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भोर की लाली किरण सी तुम प्रिये ,
मुस्काते कुमुद की पहली झलक सी तुम प्रिये ,
मन ही मन बस निहारता रहूँ मैं .....
ओस की बूँदों में नहाई मंजुल छवि सी तुम प्रिये ,
सुबह की अधखिली अलसाई कलि सी तुम प्रिये ,
मन ही मन बस बहकता रहूँ मैं ...
मेरी बगिया की चहकती मधुर कलरव सी तुम प्रिये ,
मन उपवन में बरसती सावन फुहार सी तुम प्रिये ,
मन ही मन भीगकर आह्लादित होता रहूँ मैं ...
मेरे हिय में पुलकित कोंपल सी तुम प्रिये ,
मेरे नयनन में समाई प्रेम मूरत सी तुम प्रिये ,
मन ही मन बस संवारता रहूँ मैं ...
मेरी लेखनी से स्फुटित हर शब्द में सिर्फ तुम प्रिये ,
मेरे गीत गजलों में रची बसी सिर्फ तुम प्रिये ,
मन ही मन बस गुनगुनाता रहूँ मैं ...
तुम्हीं प्रेरणा , तुम अभिव्यक्ति मेरा हर उदगार तुम प्रिये ,
मन मंदिर में बस गई हो निर्मल मूरत सी तुम प्रिये ,
मन ही मन तुम्हें पूजता रहूँ मैं ...-
बहने लगा हूँ मैं तेरे जज़्बातों में,
क्या तेरा मुझमें रहना अभी बाक़ी हैं ?
उड़ रहा हूँ मैं तुझ संग हवाओं में,
क्या तेरा संग चलना अभी बाक़ी हैं ?
ढाला हैं खुद को तेरे मिज़ाज़ में,
क्या तेरा मुझे समझना अभी बाक़ी हैं ?
हाल-ए-दिल बयां हैं अल्फ़ाज़ में,
क्या तेरा मुझे लिखना अभी बाक़ी हैं ?
ठहर जाता हूँ चलते हुए राहों में,
क्या तेरा हाथ थामना अभी बाक़ी हैं ?
गुमशुदा हूँ तेरी इस मोहब्बत में,
क्या तेरा मुझे मिलना अभी बाक़ी हैं ?
कैद हूँ अरमानों के तहख़ाने में,
क्या तेरा क़बूल करना अभी बाक़ी हैं ?
ऐसे कई 'एक' सवाल हैं आंखों में,
क्या तेरा जवाब बनना अभी बाक़ी हैं ?-
I am like the most happiest when I am with you,
Just tired of this phone stuff, don't you?
If things go right, we will overcome this fight,
Then can we just hangout holding hands tight?
I just overthink, I know,
We have to go far, we need to grow,
Till then let's enjoy small things,
Make each other smile, be each others wings.-
जणा देखूं थाने,
मनड़े माय उठे है हिलोर ...!
थारी-म्हारी प्रीत ढोला,
जैया चंदा संग सदा चकोर ...!-