लड़कपन से अरुणाई तक जो मैं आया हूँ..
मग-मग में क्षण-क्षण में कितना ज्ञान पाया हूँ..
शुद्ध अन्तःकरण के पुनीत मंतव्यों को जहाँ भी दर्शाया हूँ..
कोई प्रश्न करे या न करे मुझसे एक ही राग दोहराया हूँ..
जो प्रसाद है सुधि में उसका मालिक शाश्वत गुरू को बतलाया हूँ..
श्यामपट्ट के इमला से अवलेखनी के लेखों तक..
क़दम्ब के फूलों से मिट्टी वाले शेरो तक..
चाँद की रात से पूस की रातों तक..
जो कुछ भी सूक्ष्म मति में ठहराया हूँ..
उन शब्दो को गुरू के संग गुनगुनाया हूँ..
जो प्रसाद है सुधि में उसका मालिक शाश्वत गुरू को बतलाया हूँ..-
Introvert
Insta Profile : piyushp651
मुझे भी इश्क का इनाम चाहिए
मोहब्बत का मुझे भी दाम चाहिए
एक कप चाय,दो प्याली और
उसके साथ एक प्यारी सी शाम चाहिए !
चाहिए मुझे एक छोटी सी महफिल
उस महफिल में मुझे उसका नाम चाहिए
हो वो सिर्फ मुझपे फिदा
बाकी दुनिया से मुझे वो अनजान चाहिए !
चाहिए मुझे सादगी पसंद एक लड़की
साथ में शरारतों का एक दुकान चाहिए
जो दिल में दिमाग ना रखती हो
बस ऐसी एक नादान चाहिए !
मुझे भी इश्क का इनाम चाहिए
मोहब्बत का मुझे भी दाम चाहिए
एक कप चाय,दो प्याली और
उसके साथ एक प्यारी सी शाम चाहिए !-
नज़्म लिखें या एहसास लिखें..
सोचते हैं आज तुम्हारे लिए कुछ ख़ास लिखें,
कब के बिछड़े थे तुम ये तो हमे याद नहीं |
पर सोचते हैं आज कि तुमसे मिल के,
कभी ना बिछड़ने की एक फ़रियाद लिखें |
ख्वाहिशें कब उतरी इन आँखों से ठीक-ठीक तो याद नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हे अपने आखों के ख्वाबों का सरताज लिखें |
नज़्म में कितने अलफ़ाज़ जरुरी हैं ये तो हमे मालूम नहीं,
पर सोचते हैं आज कि तुम्हें अपने लिए जरुरी अपनी सांस लिखें |
- पीयूष पाण्डेय-
मैं कहूं या ना कहूं की मैं ठीक हूं,
तुम समझ जाना बस...।।
मैं गुस्से में अनजाने में कुछ बोल जाऊं,
तो तुम मुझे प्यार से समझा देना बस...।।
मैं रूठ जाऊं तो दूर मत जाना तुम,
मुझे मना लेना बस...।।
मैं कभी गुस्से में कह दूं की मुझे कोई बात नहीं करनी,
कोई परेशानी है तुम समझ जाना बस...।।
मैं बोल दूं अगर दूर चले जाओ मुझसे,
मुझे गले से लगा लेना बस...।।
मैं कह दूं अगर कोई साथ नहीं है,
तुम हाथ थाम लेना बस...।।
अगर मैं गलती करूं कहीं तो तुम,
मुझ पर हक जता कर समझा देना बस...।।
मैं कहूं की मैं ठीक हूं,
तो तुम समझ जाना बस...।।-
इक चाँद हैं जमीं पर भी कहीं
खिले वो रोज चाहे मिले ना सहीं
बात हो रात की तो बात उसकी हो
पर वो आसमान में जरा आये तो सहीं
अपनी रोशनी से करे वो मेहफिल उजागर
उजले हम भी जरा तेरे साये में सहीं
चाँद रातों में चाँदनी की बरसात हो
रोशनी में भीगता तुम्हे देखें तो सहीं
बादलों की आड़ में वो पल भर मिलना
रात की खामोशी का वो जश्न ही सहीं
तुमसे जब बात हो रात ठेहरी रहे
ख़्वाब आते रहें नींद रुसवा ही सहीं
तेरी तारीफों में लफ्जों की कतारें लगा दे
तुम एक बार हमारा नाम पुकारो तो सहीं
उसमे और तुझमे ज्यादा फ़ासला नही है
दोनो ही मुझसे दूर हैं पर पास ही सहीं
सहर में जो तुम चले जाते हो कही
हक़ में हमारे तब जरा इंतेज़ार ही सहीं
इक चाँद हैं जमीं पर भी कहीं
खिले वो रोज चाहें मिले ना सहीं
-
Nearly dozen terrorist crossed the sea,
Reached Mumbai, started their shooting spree,
Police loaded with lathis and guns quite old,
Became mute spectators, unable to hold.
The mayhem that rocked the nation,
Began with a gory onslaught at the CST station,
Soon Taj, Trident and Nariman House were captured,
And the inmates confined and tortured.
Those reporters showing everything from the field,
One militant caught and rest were killed,
NSG commandos were brought to end this impair
After sixty hours of tragic explosions and gunfire.
The media was on a competitive race,
Free to forge ahead in their respective space,
Pak had a role in this nerve wrecking play,
Is all that the then government had to say.
People across India was seeking for an explanation,
The government did best for its nation,
I was in state of shock sitting somewhere in Chhattisgarh,
Need a terror free world with a little privilege.
Tributes to the 26/11 Heroes
14th Anniversary of Mumbai Attacks-
खुबसूरती ने उनके कुछ यूं बवाल किया है
बरसते पानी से मानो जमीं ने सवाल किया है ।
कातिल निगाहों ने उनके कुछ यूं घायल किया है
दिल तो है पर मानो मेरा होने पर सवाल किया है ।
खनकती चूड़ियों ने उनके कुछ यूं बेहाल किया है
साहिल की बेकसी पर मानो लहरों ने सवाल किया है ।
सुर्ख होठों की लाली ने उनके कुछ यूं कायल किया है
जाम से छलकते शराब ने मानो लबों से सवाल किया है ।
दिलकश अदाओं ने उनके जीना कुछ यूं मुहाल किया है
तेज होती धड़कनों ने मानो दिल से सवाल किया है ।
-
हम यादों को सीने वाले इक दर्जी, शायर हैं,
मन मर्ज़ी से लिखने वाले इक फ़र्ज़ी, शायर हैं,
माँग-माँग कर इन लफ़्ज़ों को, हाल-ए-दिल कहते हैं,
इन शब्दों के बोझ तले इक कर्ज़ी, शायर हैं,
कुछ जज़्बातों को बातों में ढालने की ख़्वाहिश थी,
नैनों के जल की आयी है इक अर्ज़ी, शायर हैं ?
वैसे तो दिन भी अच्छा है पर झूठा सा लगता है,
हम रखने वाले रातों से खुदगर्ज़ी, शायर हैं,
कभी-कभी खुद को हैं कोसें क्यों लिखने का हुनर मिला,
कभी-कभी कहते हैं ईब की मर्ज़ी, शायर हैं ।
-
I couldn't find the right words
Nothing seemed to rhyme
To write something for you
I think it will take time
Because when you have a friend
That is very hard to find
There's so much to say
Because you make everything alright
So I will tell you right now
exactly what I need to say
To show you how much I appreciate
You being there everyday
We've been together for so long,
in a fantastic place where we belong.
We shared the mysteries of our life,
laughter and tears are seen in our eyes
You're with me and I'm with you,
you comfort me and I comfort you.
A part of me becomes part of you,
true friendship I've found in you.-
माना मेरे दिल पर हमदम कोई ज़ोर नहीं मेरा,
बिखरुं तुझे हासिल करने से पहले इतना भी कमज़ोर नहीं मन मेरा।।
-