प्रेम सिर्फ सम्माननीय, पूजनीय ही नहीं है
दो व्यक्तियों के चरित्र पर लगाया गया लांछन भी है..!!❣️-
अगर कोई कलम किसी चेहरे पर मुस्का... read more
सहजता प्रेम का सबसे बड़ा गुण है
अपने साथी के साथ इतना सहज
हो जाओ कि वो जो बात किसी से न कह सकें वो भी तुम से कह कर मन को हल्का कर ले,
यह सिर्फ़ प्रेम ही में संभव है
🙏🙏🏻🙏🙏🏻-
पुरुषों ने प्रेम को जितना समझा उतना स्त्री नहीं समझ पायी....
पुरुषों ने प्रेम को सहज भाव दिया...
और स्त्री ने काल्पनिक कहानी.....
पुरुषों ने अपने हर दायित्व के साथ प्रेम को निभाया...
स्त्री ने हर दायित्व निभाने की पुरुषों से ही अपेक्षा की समय उपहार व्यवहार सम्मान सब मिले और बिना कहे उनकी हर बात सुनी और समझी जाए और पुरुषों ने भी अपना सर्वस्व न्योछावर किया
इतने पर भी स्त्रियों की शिकायत कम नहीं हुई...
वो ये भूल जाती हैं उनकी सारी उम्मीदों को पूरा करते हुए कितनी बार टूटा होगा वो पुरुष...
कितने संघर्ष कितने कष्ट सह कर भी उसने अपनी पसंदीदा स्त्री की हर ख्वाइश पूरी की है...!!
तो मेरा निवेदन है उन सभी स्त्रियों से प्रिंसेस ट्रीटमेंट अगर चाहती हो तो अपने पसंदीदा पुरुष को भी प्रिंस ट्रीटमेंट देने का प्रयास करो वो भी इंसान है
आपकी ही तरह उसे भी समझने की कोशिश करो...
उसके आपके सपने पूरे करने के पीछे के संघर्ष को अपने संतोष स्वभाव का आश्रय दीजिए....
वो जो आपका दिल रखता है न वो भी तो एक दिल रखता है....!
🙏 ❣️ 🪬-
कमाने के सिवा उसे कुछ सूझता ही नहीं...
क्युकी अगर पैसा ना हो तो उसे कोई पूछता ही नहीं...-
ये दुनिया पुरुषों के लिए बड़ी बेरहम है,
आदर पाने के लिए, प्रेम पाने के लिए,
अपनी बात रखने के लिए,
परिवार का हिस्सा बने रहने
के लिए पैसा पास होना चाहिए ।
पैसे के बिना पुरुष का कोई वजूद नहीं ।
पैसे से ही पुरुष को इज्जत, प्यार और
अपनी बात रखने का हक मिलता है।
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एक अजीब सी बेचैनी हो रही है, बस करवट बदल रहा हूं,
ना आंख लग रही है और ना ही नींद आ रही है...💔😢-
और फिर एक दिन दिल मे इश्क़ मर जाता है,
जब लड़कों की पसंदीदा स्त्री बिछड़ जाती है…….
🧿-
अपना हाथ बांधे फिर उन्हें घन्टों तक सुनते रहते है
प्रेम मे पुरुष पसंदीदा स्त्री से बहस नहीं करते है..
❣️
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वो रूठ के हमसे बोली सब शिकायतें तुम्हें मुझसे ही है
तो मैं भी बोल उठा की सारी उम्मीदे भी तुमसे ही है
बस इतनी सी थी ……………..
हमारी आज की लड़ाई वाली कहानी ❤️🩹-
सुनो! बारिश आयी है
तुम्हारे बगैर
हमेशा की तरह और
तुम्हारे बगैर हमेशा की तरह
हम बारिश में खड़े हैं
भीग रहे हैं
इस आस में कि कहीं से तुम आ जाओ
कहो हमसे
'क्या कर रहे हो! बीमार हो जाओगे'
और खींचकर हमें लिए जाओ
छाँव में कहीं, पोंछ दो अपने आँचल से
चेहरा हमारा
ताकि आँखों का बरसना बंद हो जाये
बस बादल बरसते रहें...-