दिल के काग़ज़ो को कोरा ही रहने दो ज़नाब,
अब तों स्याही भी गिरती है तो दर्द होता हैं…!-
हर मंदिर में जाके माँगते हैं उन्हें,
प्रसाद तो मिल जाता हैं दोस्त,
पर वह नहीं…!-
अंधकार का अंत करने के लिए।
अनेकों का मार्गदर्शन के लिए।
शायद मोमबत्ती बनी ही त्याग करने के लिए।-
क्षमा करी हरी। चुकली पायी वारी॥
संकट आले भारी। करोना रूपे॥
काय पाप केले। संकट ओढावले॥
रास्ते बंद झाले। माहेरचे॥
अगा विठुराया। येऊ दे गा दया॥
सोडवी महा भया। पासुनिया॥
देह असे घरी। मन करी वारी॥
सुनी ही पंढरी। दिसत असे॥-
रास्ते में खतरे हैं, तो वह खुबसूरत हैं।
टहल तो लोग सड़कों पर भी लेते हैं।-
जैसा अमृताचा निर्झरु । प्रसवे जयाचा जठरु ।
तया क्षुधेतृष्णेचा अडदरु । कहींचि नाहीं ॥
ज्याच्या उदरात अमृताचा झरा उत्पन्न झाला आहे,
त्याला जशी तहानभूकेची कधी पीडा अथवा भय नसते.
~ज्ञानेश्वरी
(अध्याय:२, ओवी:३३९)-
देखें अखंडित प्रसन्नता । आथी जेथ चित्ता ।
तेथे रिगणें नाहीं समस्तां । संसारदुःखां ॥
ज्या ठिकाणी मनाची निरंतर पूर्ण शांतता आहे,
तेथे ह्या सर्व सुखदुःखांचा प्रवेश होत नाही.
~ज्ञानेश्वरी
(अध्याय:२, ओवी:३३८)-
बात तो ज़रूरत की हैं जनाब,
यू ही नहीं सबकी ज़ुबान मिठी हो जाती हैं...!-
मेरे जीवन का काराजल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर में मधुमय कर
बरसाता मैं सो जाता
कोई गाता मैं सो जाता ...
- हरिवंशराय बच्चन-