Piyush Khadgi   (Piyuष)
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Joined 28 May 2019


Joined 28 May 2019
29 NOV 2022 AT 20:57

दिल के काग़ज़ो को कोरा ही रहने दो ज़नाब,
अब तों स्याही भी गिरती है तो दर्द होता हैं…!

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29 NOV 2022 AT 16:27

हर मंदिर में जाके माँगते हैं उन्हें,
प्रसाद तो मिल जाता हैं दोस्त,
पर वह नहीं…!

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16 OCT 2022 AT 23:27

एक समय था जो बीत गया,
किंतु यादों में कुछ सुहाने पल छोड़ गया।

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14 APR 2022 AT 23:20

अंधकार का अंत करने के लिए।
अनेकों का मार्गदर्शन के लिए।
शायद मोमबत्ती बनी ही त्याग करने के लिए।

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19 JUL 2021 AT 18:19

क्षमा करी हरी। चुकली पायी वारी॥
संकट आले भारी। करोना रूपे॥
काय पाप केले। संकट ओढावले॥
रास्ते बंद झाले। माहेरचे॥
अगा विठुराया। येऊ दे गा दया॥
सोडवी महा भया। पासुनिया॥
देह असे घरी। मन करी वारी॥
सुनी ही पंढरी। दिसत असे॥

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18 JUL 2021 AT 0:19

रास्ते में खतरे हैं, तो वह खुबसूरत हैं।
टहल तो लोग सड़कों पर भी लेते हैं।

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6 JUL 2021 AT 0:00

जैसा अमृताचा निर्झरु । प्रसवे जयाचा जठरु ।
तया क्षुधेतृष्णेचा अडदरु । कहींचि नाहीं ॥

ज्याच्या उदरात अमृताचा झरा उत्पन्न झाला आहे,
त्याला जशी तहानभूकेची कधी पीडा अथवा भय नसते.

~ज्ञानेश्वरी
(अध्याय:२, ओवी:३३९)

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5 JUL 2021 AT 0:51

देखें अखंडित प्रसन्नता । आथी जेथ चित्ता ।
तेथे रिगणें नाहीं समस्तां । संसारदुःखां ॥

ज्या ठिकाणी मनाची निरंतर पूर्ण शांतता आहे,
तेथे ह्या सर्व सुखदुःखांचा प्रवेश होत नाही.

~ज्ञानेश्वरी
(अध्याय:२, ओवी:३३८)

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28 JUN 2021 AT 20:54

बात तो ज़रूरत की हैं जनाब,
यू ही नहीं सबकी ज़ुबान मिठी हो जाती हैं...!

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23 JUN 2021 AT 22:47

मेरे जीवन का काराजल
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर में मधुमय कर
बरसाता मैं सो जाता

कोई गाता मैं सो जाता ...

- हरिवंशराय बच्चन

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