मेरे पापा
जब भी इस शब्दों से कुछ लिखती हूँ
आँखें नम सी हो जाती है
आज जो कुछ भी लिखती हूँ
इन्ही हाथों को पकड़कर
पापा ने चलना सिखाया था
उनके हाथों को पकड़कर
बढ़ती गई, फिर आचाक से
हमारा साथ छूट गया
और मैं बीच राह में थम सी गई
चारो तरफ अंधेरा सा हो गया
फिर धीमी सी आवाज आई
बेटी ! मैं बहुत दूर चला गया हूँ
मैं लौट कर नही आ सकता बेटी
अब खुद ही तुमको जिंदगी की राह में चलना होगा
मुश्किले आयेगी, तकलीफ आयेगी
लेकिन कभी पीछे मुड़कर मत देखना
उम्र से परे थी मैं और जिम्मेवारी आई
और लोग कहते थे बहुत बड़ी हो गई हो
उन्हे कौन बताए बुरी हालत क्या होती है
काश! आज मेरे पापा होते तो
शायद! ये आखें नम ना होती
काश ----------------------- !
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