कामिहि नारि पिआरि जिमि लोभिहि प्रिय जिमि दाम ।
तिमि रघुनाथ निरंतर प्रिय लागहु मोहि राम ॥
अर्थात – जैसे काम के अधीन व्यक्ति को नारी प्यारी लगती है और लालची व्यक्ति को जैसे धन प्यारा लगता है. वैसे हीं हे रघुनाथ, हे राम, आप मुझे हमेशा प्यारे लगिए।
श्रीरामचरित मानस।
- Pinki kumari
17 APR 2023 AT 0:15