Piki ani   (Âni)
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Joined 4 August 2018


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17 NOV 2022 AT 11:39

कभी पन्नो पे स्याही से जिसकी तारीफ लिखती थी
अब वो अपना सा नहीं लगता
कभी बंद आंखों से जिसकी आहट पहचान लेती थी
अब वो अपना सा नहीं लगता
कभी जिसकी बेरूखी से आखें नम हो जाती थी
अब वो अपना सा नहीं लगता
कभी जिसकी शरारतों से चेहरे पे मुस्कान आती थी
अब वो अपना सा नहीं लगता
सब कुछ शायद पहले जैसा ही है
फिर क्यों अब वो अपना सा नहीं लगता ? — % &

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21 MAY 2021 AT 14:24

पंख फैला के उड़ना चाहती हूं
आसमान से बातें करना चाहती हूं
उसके करीब जा के मुस्कुराना चाहती हूं,

यूं पाबंदियां न लगाओ मुझ पर
मोहब्बत का वास्ता देकर
अगर टूट गए सपने मेरे
तो मुझे समेट न पाओगे,

फिरती रहूंगी गलियों गलियों यूंही
पर तुम तक न आ पाऊंगी
कहने को तो कहते हो
बेहद फ़िक्र करते हो मेरी
बस मुझे ही नजर नहीं आती
ये बेबसी तेरी।

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3 MAY 2021 AT 22:00

ये कैसा कहर हैं कुदरत का
अपनो से दूर रह के
अपनों को बचाना हैं

मसला ये हैं कि बातें भी करनी हैं
रूबरू भी होना हैं
पर चेहरे पर नकाब भी चढ़ाना है

प्रकृति का भी गजब फैसला हैं
जिसकी कद्र नही की हमने
आज उसी के लिए सबको तरसना हैं

कब थमेगा ये मौत का आगाज कुछ पता नहीं
करना बस इतना हैं खुद को नकारात्मक करके
बाकी सबको सकारात्मक करना हैं!!

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28 MAR 2021 AT 19:50

अगर होलिका जला ही रहे हो
तो सबसे पहले अपने अहंकार को जलाना!!

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25 MAR 2021 AT 15:39

कुछ रिश्ते रेत की तरह फिसलते जा रहे हैं हाथों से
कुछ जज्बात हर रोज पुराने पन्नों में खुद को ढूंढे जा रहे
कहने वाले यूं ही कहते हैं बदल जाते हैं लोग नए रिश्ते मिलने से
पर कसूर तो पूराने रिश्तो का है जिसे खुद के रिश्ते भी यकीन नहीं होता

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18 FEB 2021 AT 12:52

वैसे तो बातों में रखा नहीं कुछ
भुला देने की आदतें पुरानी है
अगर झुकने से सम्भल जाए रिश्ते हमारे
तो चलो आज भी हम ही झुक जाते हैं

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21 OCT 2020 AT 21:10

हम घुमते रहे उनकी गलियों में हर रोज
बस एक बार उन्हें देखने को
और उनकी बेरुखी तो देखिए
मुंह मोड़ गए हमें देख के

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25 SEP 2020 AT 2:42

इन चंद महीनों में
करीब आए दुर हुए
फना हो गए एक-दूसरे की मोहब्बत में
बेखबर इस बात से
ये चंद रातें
ये चंद बातें
ये चंद मुलाकातें
बस चंद दिनों के लिए थी

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11 SEP 2020 AT 23:10

सोच रही आज
मुंह मोड़ लु
अपने ही कलम से
मुंह मोड़ लु
अपने ही लिखें जज्बात से
मुंह मोड़ लु
साथ बिताए लम्हों से
क्योंकि था जिसके लिए इस दिल में जज्बात
उसी ने रूबरू करा दिया
मुझे अपने व्यस्त होने के अंदाज़ से

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8 SEP 2020 AT 22:12

बचपने का तजुर्बा

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