वो शाख कब से हिला रहा है

शराब जान कर पी रहा हूँ
ज़हर वो मुझको पिला रहा है

मैं अब भी थोड़ा सुलग रहा हूँ
वो राख मेरी उड़ा रहा है

- Piyush Mishra