मैंने पूछा- “रोशनी क्या होती है?”
खिड़कियाँ खोल दी बाबूजी ने
“समय?”
पूर्वजों का चित्र रख दिया सामने उन्होंने
“ईश्वर क्या है?”
इशारा कर दिया माँ की तरफ़
“सुख कहाँ है?”
बहुत देर तक मुस्कुराते रहे वो
हर सवाल का जवाब देते रहे बाबूजी कुछ ना कुछ करके
“जीवन क्या होता है?” पूछा मैंने
मेरी ऊँगली थाम कर चलते रहे वो ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर
“मृत्यु?”
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- Piyush Mishra