दिन का तपता सूरज
जब उतरता है समन्दर में
लहरें कुछ यूँ लगती हैं
कि जैसे उतर गया हो नमक उनका
और बस सिंदूर भरा हो उनमें
उड़ रहा हो

अपने लबों को
रख कर मेरे होंठों पर
जब गुज़रती हो मुझसे
यूँ लगता है
कि जैसे जिस्म से
उतर गए हों जिस्म सैकड़ों
बस एक रूह है
उड़ रही है!

- Piyush Mishra