आप किसी भी युवा से पूछ लीजिये उसे किस तरह का जीवन साथी चाहिए, वो बताएगा/गी -अगर लड़की डॉक्टर है तो उसे डॉक्टर लड़का चाहिए, अगर लड़का आई टी में है तो उसे उसी क्षेत्र की लड़की चाहिए, अगर लड़की आर्किटेक्ट है तो उसे लड़का आर्किटेक्ट चाहिए और लगभग हर व्यक्ति अपने ही 'प्रोफेशन' वाला जीवनसाथी चाहता है. कारण पूछिए तो मालूम चलेगा-"उसे हमारी लाइफ स्टाइल अच्छे से समझ आएगी". ये नए ज़माने का जातिवाद है. कुछ इसी तरह, इन्हीं तर्कों पर सदियों पहले जातियां शुरू हुई होंगी. जातिवाद रूप बदल सकती है, समाप्त नहीं हो सकती !

(11 मई 2013)

- Piyush Mishra