पीजे ठाकुर बीजेपी  
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Joined 25 March 2020


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Joined 25 March 2020

बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता,
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।— % &

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प्यार मोहब्बत आशिकी.ये बस अल्फाज थे.
मगर.. जब तुम मिले तब इन अल्फाजो को मायने मिले.— % &

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दूसरों को सुनाने के लिऐ अपनी आवाज ऊँची मत करिऐ, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाऐं कि आपको सुनने की लोग मिन्नत करें.

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बिछड़े है जब से ये ज़िन्दगी एक सजा सी लगती है
अब तो अपनी सांसे भी खुद से खफा लगती है
तड़पते रहते है तेरी जब भी याद आती है
अब तो मुझे ये दुनिया भी बेवफा लगती है ।।

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तेरा नाम ही ये दिल रटता है,
ना जाने तुम पे ये दिल क्यू मरता है,
नशा है तेरे प्यार का इतना,
कि तेरी ही याद में ये दिन कटता है। 💞

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वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।

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वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो,
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो,
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको,
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो.

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खामोशियां कभी बेवजह नहीं होती
कुछ दर्द ऐसे भी होते है जो आवाज़ छीन लेती

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दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.

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मेरे दिल को तोड़ कर वो किसी और की बाहों में सो गया
कितनी आसान से वेबफाई का नाम मजबूरी हो गया.

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