बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता,
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता,
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।— % &
बिछड़े है जब से ये ज़िन्दगी एक सजा सी लगती है अब तो अपनी सांसे भी खुद से खफा लगती है तड़पते रहते है तेरी जब भी याद आती है अब तो मुझे ये दुनिया भी बेवफा लगती है ।।
वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई, न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई, अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ, कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।