Pihu Upadhyay   (पिहू उपाध्याय)
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Joined 25 August 2021


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24 DEC 2022 AT 15:37

हजारों की भीड़ में से सिर्फ तुझको चुना है,
तुझ में कुछ तो खास बात होगी ना?

सारी जिंदगी तेरे साथ रहने का ख्वाब बुना है, तुझ में कुछ तो खास बात होगी ना?

किस्मत में हम दोनों को मिलाया है,
तुझ में कुछ तो खास बात होगी ना?

और किसी पर नहीं ये दिल सिर्फ तुझपे आया है, तुझसे कुछ तो खास बात होगी ना?

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15 SEP 2022 AT 10:19

मेरी एक आदत हैं

मैं चीजे खत्म नहीं कर पाती हूँ

किताब का आख़िरी पन्ना आते ही मैं उसे कहीं छुपा देना चाहती हूँ

अपनी नज़रों से दूर

ताकि किताब और मेरे बीच का संबंध कुछ और दिनों के लिए चलता रहे

मुझे इस बात का गहरा डर रहता हैं

कि किताब के खत्म होते ही शायद मैं उसे छोड़ कर कहीं भाग जाऊँगी

मुझे मालूम है ये मुमकिन नहीं है
मगर मुझे डर है

क्योंकि अक्सर मुझे पूरा पढ़ लेने के बाद लोग मुझे छोड़ कर चलें जाते हैं।

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15 SEP 2022 AT 10:16

मस्जिद है या शिवाला ये सच बता ही देंगे पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे

हम जोड़ने के क़ायल तुम तोड़ने में माहिर मेहमान तुमको माना और तुमने हमको काफिर

बस ये बता दो खंजर क्यूँ पीठ में उतारा क्यूँ सोमनाथ तोड़ा मथुरा को क्यूँ उजाड़ा

शंकर का जुर्म क्या था ने कान्हा ने क्या किया था वनवास राम जी को बाबर ने क्यूँ दिया था

तेरह सौ साल हमने यही सोचते गुज़ारे क्यूँ गर्दनें उतारीं क्यूँ फूंके घर हमारे

सारी जवाबदेही तय होगी धीरे धीरे गंगा नदी के तीरे हर-हर का नाद होगा

सारी जवाबदेही तय होगी धीरे धीरे हर-हर का नाद होगा गंगा नदी के तीरे

सोया हुआ सनातन चैतन्य है सजग है वो वक्त कुछ अलग था ये वक्त कुछ अलग है

क़ब्रों से खींचकर हम लाएँगे सच तुम्हारे आएँगे कटघरे में औरंगज़ेब सारे

सारा हिसाब इक दिन ज़िल्ले इलाही देंगे पूछेगी जब अदालत पत्थर गवाही देंगे!

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5 SEP 2022 AT 18:30

.पहला प्यार .

ये सच है की पहले प्यार से खूबसूरत कोई एहसास नहीं होता जिंदगी में, उस इंसान को ये दुनिया खुशनुमा लगती है।
सुबह खुशी से उठता है चेहरे पे एक अलग सी मुस्कुराहट होती है।
हर इंसान उसको बहुत प्यारे लगते है। सबसे काफी खुस होकर मिलता है, हर पल बस उसी का ख्याल उसी की बाते।
प्यार सच्चा हो बुरी आदत भी अच्छी बन जाती है, बस अब उनकी खुशी में ही अपनी खुशी दिखती है। बस एक प्यारे इंसान के जिंदगी में आ जाने से मानो उसकी जिंदगी पूरी हो जाती है।
उस वक्त इंसान किसी पागल से कम नहीं होता...।

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30 AUG 2022 AT 22:52

मैं प्यार लिखूं तो ख़्याल तुम हो,
मैं दर्द लिखूं तो सवाल तुम हो।
मैं खुद को लिखूं तो भी तुम मिलोगे,
मैं तुम को लिखूं तो शामिल तुम हो,
मैं कविता लिखूं तो जज़्बात तुम हो,
मैं लिखूं कोई फ़साना तो शुरुआत तुम हो,
मैं कलम उठाऊ तो अल्फाज तुम हो,
मेरी जिंदगी का इकलौता बवाल तुम हो
मैं लिखूं प्रेम पत्र तो मुकाम तुम हो,
मैं लिखूं शिकायते तो वजह तुम हो,

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30 AUG 2022 AT 7:08

क्यों ज़रूरी है तुम से मुलाक़ात समझ कैसे बीती होगी तुम बिन रात समझ

अल्फ़ाज़ों से सब कुछ बयाँ नहीं होता तू मेरे लफ़्ज़ नहीं मेरे जज़्बात समझ

साथ बरसते हैं कितने ही ग़मों के आँसू
क्यों बरसती है इतनी बरसात समझ

माना मोहब्बत की राहों में काँटें है बहुत
पर इसमें फूल के भी हैं बाग़ात समझ

दोस्ती, प्यार तो सब ज़रूरी है लेकिन उससे ज़रूरी है एक ख़यालात समझ

तू मुझे जो भी समझे है ये मर्जी तेरी पर यार ख़ुद को मेरी तू क़ायनात समझ..!

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22 AUG 2022 AT 23:03

*कुछ इस तरह*
मैं आप से कुछ इस तरह मिली जैसे
नदी मिल जाती हैं सागर से,
खुशबू मिल जाती हैं फिज़ा में,
जैसे गांव से निकली हुई एक कच्ची सड़क
मिल जाती हैं शहर से...!!
मुझे नहीं पता मैंने कैसे खुद को
आप में कुछ इस तरह विलीन कर लिया..

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22 AUG 2022 AT 22:58

उम्मीद की चिठ्ठी
20 अगस्त, 2022

कुछ शाम, इंतज़ार से ज्यादा लंबी होंगी

कुछ एहसास, दर्द से भी गहरे होगें कुछ रिश्ते, तनहाई से बढ़कर दर्द देंगें कुछ अपने परायों से ज्यादा दूर होंगें कुछ रास्ते कभी मंजिल को नहीं जायेंगें

मगर, इन सबसे गुज़रते हुए तुम खोना मत अपना हौसला, अपनी उम्मीद

क्योंकि दुस्वारियों में पली हुई कहानियाँ अँधेरी रातों में आगे बढ़ी हुई कहानियाँ दस्तावेज़ हैं उन जीतों का जो मन की घर को झुठलाती हैं जीवन ज़िद्दी है - बतलाती हैं

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22 AUG 2022 AT 8:32

रात भर चाँद से गुफ़्तगू करते हैं हम किसी आरज़ू की आरज़ू करते हैं

पल में बदल जाता हैं मिज़ाज हमारा
वो बात नहीं कोई जादू करते हैं..!

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6 APR 2022 AT 0:42

कई साल पहले की बात है

मुझे ठीक-ठीक याद नहीं कब

मगर एक रात छत पर कुछ गिरने की आवाज आई थी

उपर जाकर देखा तो चाँद ज़ख्मी पड़ा था

उसके सीने पर दरारें थी

जैसे किसी ने उसका दिल निकाल लिया हो

उस रात चाँद सुबह तक

मेरी छत पर बैठा रहा

जाने से पहले मैंने उसे

एक कविता सुनाई थी

मुझे ठीक-ठीक याद नहीं कौन सी मगर उस कविता में तुम्हारा ज़िक्र था

इसलिए अब भी हर अमावस की रात चाँद

सारी दुनिया को अँधेरे में रख कर

दबे पाव मेरी छत पर उतरता है

मुझसे बातें करने और

तुम पर लिखी कविता सुनने..

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