Pihu Priyanka   (꧁༺ इंद्रप्रिया ༻꧂,)
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Joined 31 May 2020


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Joined 31 May 2020
30 JUL 2022 AT 1:57

हक से था उसका वास्ता मेरा,
‌एक पल में रूकसत हो गया
‌बिछाए थे फूल जिसने जमीन पे
‌दूरियो के काटों में वो बदल गया
‌कागज के जिन पन्नो में भर -भर
‌के स्याही से लिखे अल्फाजो को
‌कोरे कागज में यू बदल गया
‌मै आजिज़ बैठी रहीं उस आरज़ू में
‌वो मुझमें बिन चिगांरी लगाए
‌यू ही जर-जर सा कर गया |

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9 MAY 2022 AT 4:25

बहुत ख़ास हो तुम.
मिले हो जबसे.
मैंने सब पाया है तब से.
बस यही एक आरज़ू है रब से.
दिल के करीब रहो तुम सबसे

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14 FEB 2022 AT 23:06

आशा जो दूसरो से की जाए
वो जख्म देती हैं— % &

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14 JAN 2022 AT 11:40

परखा बहुत गया है मुझे
लेकिन कभी समझा नहीं गया

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13 JAN 2022 AT 0:17

अगर सिर्फ बंजर जमीन पे छिड़काव् मात्र से जमीन उपजाऊ हो जाती तो
लोगो के इतने प्यार से सींचने का क्या अर्थ रह जाए?

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6 DEC 2021 AT 22:03

जिस टूटी टहनी पे,
बनाया था घोसला
अक्सर ये भूलकर
फ़िर तिनका-तिनका जोड़ती हूँ

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21 NOV 2021 AT 22:33

भाग्य से जितनी अधिक उम्मीद करेंगे
वह उतना ही आपको निराश करेगा
कर्म मे जितना विस्वास रखेंगे
वह उतना ही आपको आपकी उम्मीद से अधिक देगा

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21 NOV 2021 AT 22:05

मेरे जीवन के आँगन में
हर मौसम तू लाया है
कभी बन अश्रु बारिश धारा की
तो कभी मिट्टी सी सौन्धी महक लाया है
कभी कड़कती धुप मिली तो
कभी तेरी मीठी छाया हैं
कई मौसम आये गए
पर वसंत तो तू ही लाया है

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15 NOV 2021 AT 13:20

जिस व्यक्ति को किसी बात का ज्ञान न हो उसे कोई भी बात आसानी से समझाइ जा सकती है पर जो अधूरा ज्ञानी है उसे तो ब्रम्हा भी नही समझा सकता।

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12 NOV 2021 AT 12:51

तुम ज़रूरी हो जिंदगी के लिए
तुम जिंदगी भर रहो ये ज़रूरी तो नहीं

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