कि उन बचपन की यादों को याद करे
जब बेवजह हस्ते हस्ते रात गुजारा करते
वो खुशी अब कहां बत्ती जाने की
जो बचपन में खेल का दुगना मजा करती थी
अब फुर्सत कहाँ जमाने की सोचने से
शायद वही उम्र थी बेपरवाह जीने की ..-
▪️Not a writer✍️✍️ but always try to catch it😊😊
▪️Loyal with my dreams ❤... read more
क्यों मैं गुलाब चाहूँ,
जब मेरे पास तू है
क्यों मैं किसी और की महक लूँ,
जब मेरे पास तू है
क्यों मैं काँटे चुनों,
जब तेरा हाथ साथ है
क्यों मैं किसी मूक को दर्द दूँ,
जब तुझमें सुकून है-
पतंग की डोरी जो उसे बाँधे रखती है
वही उसके आकाश में उड़ने का कारण बनती है
फर्क है तो सिर्फ़ दृष्टिकोण का-
कभी भी एक इंसान दूसरे को पूरी तरह नहीं समझ सकता
हर इंसान की अपनी सीमा, वातावरण व दृष्टिकोण होता है
जो उसकी समझ को सीमित करता है-
क्यों चाहिए हमें कोई अपनी भावना बाँटने के लिए
क्या हम पूर्ण नहीं अपने आप के लिए-
मुझे लोगों के ना प्यार की जरूरत है, ना दोस्ती की,
बस जो उन्होंने मेरे साथ गलत किया है वो समझ जाए,
ये भी कुछ ज्यादा है क्या-
लोग आते है, और चले जाते हैं
हम भी इतने पागल है,
कि उनके Hello से
उम्मीद लगा बैठते है-
क्यों हर बार अपनों में से और अपने आप में से
एक को चुनना पड़ता है
क्यों दोनों एक दूजे का हाथ थाम नहीं चल सकते
जब रहना साथ है
क्यों एक को तकलीफ़ दे
जब जज्बात एक है-