हर इंसान खुद में,एक पूरी दुनिया लेकर घूम रहा है
अधूरा होकर भी किसी ना किसी को पूरा कर रहा है-
दिल के अल्फ़ाज़ लिखती हूं
हर एहसास लिखती हूं
मुश्किल को आसान लि... read more
याद छोड़ गए वो,
जैसे आधी लिखी किताब
जिसके पन्नों पर कुछ अधूरे अल्फाज़ तो है,
पर कहानी कभी पूरी ना हो सकी।
वो मुस्कुराहट,
वो अल्फ़ाज़ का जादू,
आज भी सांसों में घुला है,
मगर छूते ही बिखर जाता है।
याद छोड़ गए वो,
जैसे बारिश के बाद
भीगी मिट्टी की ख़ुशब
कुछ पल तक रहती है,
फिर हवा में खो जाती-
कोई हो जो मुझे गले लगाए,
मेरे ज़ख़्मों को चुपके से सहलाए।
वक़्त ने छीना हर मुस्कान मिरी,
कोई हो जो मुझे फिर से हँसाए।
रात भर जागाती है तन्हाई, मुझे
कोई ख्वाबों में आकर चैन दिलाए।
दर्द के सिलसिले थमते ही नहीं,
कोई हो जो मुझे भी अपनाए,
ज़िंदगी का सफ़र है वीराना,
कोई हो जो मिरी राह सजाए।
'फ़िरदौस' भीड़ में खो जाती है,
कोई हो जो उसे खुद से मिलाए।-
तक़दीर की दीवार में कहीं कैद हूं।
तहज़ीब के मीनार में कहीं कैद हूं ।
हकीकत के सब रंग बिखरे हुए।
ख़्वाब के बाज़ार में कहीं कैद हूं ।
मंजिल की तलाश तो की थी बहुत
राहों के इज़हार में कहीं कैद हूं
ख्वाहिश की दरिया में डूबा हुआ,
तन्हाई के उस पार में कहीं कैद हूं
मायूस नहीं हूं मगर ए मेरे दोस्त
उम्मीद के दरबार में कहीं कैद हूं-
उम्रभर की इक ख़लिश सी रह गई
तेरी मुस्कान में कशिश सी रह गई .....
रातों में जब तेरी याद सताती है
नींद भी गई, तपिश सी रह गई ......
कुछ यूं खेला मुकद्दर ने हमसे
ग़म भी ,खुशी भी ,ख्वाहिश सी रह गई .....
बिन तेरे ये सफर भी अधूरा सा है
एहसास भी इक आतिश सी रह गई.....
दिल की दास्तां, बयां नहीं कर पाते
मोहब्बत भी इक बंदिश सी रह गई....-
कशिश रह गई बस तेरे इश्क़ की,
बहुत पास से गुज़रा है तू मेरी रूह के… पर किस्मत हमें मिला न सकी।-