फिज़ा_ए_क़लम   (©"फिज़ा”महरोज़✍️🕊️)
66 Followers · 22 Following

read more
Joined 3 April 2021


read more
Joined 3 April 2021

मुस्कुराओ
अपनी हर एक बात पर
कभी किसी की याद पर
किन्हीं पलों के आगाज़ पर
खुद पर गिरी गाज पर
ज़िंदगी के हर अंदाज़ पर
मुस्कुराओ
गुज़रे हुए लम्हात पर
दिल के अहसासात पर
ग़मों में कटी रात पर
गुजरती हुई बारात पर
खुशियों की सौगात पर
मुस्कुराओ
आंसुओं की आमद पर
कुछ टूटने की आवाज़ पर
जुड़ने की मज़बूरियात पर
हंसी,ठिठोली,रोने–सिसकने
ऐसे तमाम जज़्बात पर...!¡!

-



सोचती हूं एक ख़्वाब लिखूं इस
पर या छोड़ दूं यूं ही !
ख़्वाबों की रद्दी से असल में एक
टुकड़ा कागज़ मिला है कोरा सा!!

-



किसी ने अच्छा कहा मुझे
और किसी ने बुरा समझा

मुझे नहीं पता कि परिभाषा क्या
हो सकती है अच्छे और बुरे की,
पर...अगर आप
साफ दिल,
तेज़ दिमाग़,
अपने हक़ की बात करने को,
मुंह पर सच कड़वा हो
या मीठा बोलने वाले को
बुरा कहते हैं,
तो...शायद मैं आपकी नज़र में
अच्छी न होऊं!

पर....बाखुदा मुझे न,
फ़र्क नहीं पड़ता...!!

-



Farishton se badhkar hai insan hona
Magar isme lagti hai mehnat ziyada

Altaf Hussain Hali









-



अकसर सवाल
ही रह जाते है!

-



अकसर बाते करते हैं!
आखिर में जीत नहीं पाता
कोई भी,
लड़ते, झगड़ते, कर लेते हैं थोड़ी
किस्सागोई भी,
आखिर एक दूजे के साथी ठहरे,
एक दूजे पे मरते हैं!
मैं और............................!!

-



ऐसा भी क्या प्यार कि फूलों की,
फूल सी दुनिया उजाड़कर
जताया जाए...!
किताबें शामिल हो जाएं मुहब्बत
में तो दुनिया बहुत बदली
जा सकती है...!!

-



जिनकी बातों
में संगीत थी,
जिनकी अदाओं
में खनखनाहट थी,
वो आवाज़ और वो
हस्ती हमारी यादों में
यूं ही हंसती मुस्कुराती रहेंगी!
RIP...❤️

-



नाम मिला महरोज़ मुझे,
चेहरा हो जिसका चांद सा!
शायद एक दिन मैं बनूं फिज़ा,
ये ख़्वाब है मेरे ख़्वाब का!
भंवर भी हों, लहरें भी चलें,
ख़्वाहिश है बनूं मैं आब सा!
कांटे भी मेरे संग पलें,
गर फूल बनूं तो गुलाब का!
मैं नाज़ुक हूं, पत्थर भी हूं,
व्यवहार हो जैसा आपका!

-



मैं ये नहीं कहती कि आंखें मेरी नम न होंगी,मगर
इंशा अल्लाह मेरी कोशिशें कभी कम न होंगी!
#Love you Zindagi❤️

-


Fetching फिज़ा_ए_क़लम Quotes