मैंने ज़िन्दगी को इस क़दर जीकर देखा है,
अपना हर एक गम बार-बार लिख कर देखा है।-
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● #mydesk_mahi (if u wnt me to read )
● #2liner_mahi
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मैं वो अश्क़ हूँ जो आँखों से रिसता नही,
चुभता हूँ बेहद मग़र खून है कि बहता नही।-
थोड़े जज़्बाती होने लगे है हम,
नाराज़गी दिखाते नही क्योंकि स्वाभिमानी होने लगे है हम,
क्यों देर तलक तुम हमसे तमाम शिकायते छुपाये रखते हो,
हर घाव से अनजान तुम्हारे,
खुदके ज़ख्मो को अब भरने लगें है हम।
यकीन मानो यू बेकस रहना अब खलने सा लगा है इस दिल को,
यूँही दिललगी अब लोगो से बढ़ाने लगे है हम,
थोड़े बेपरवाह पहले से ज्यादा अब होने लगे हम,
तुम मुसर्रत अपनी ले जाओ इस मका से,
देखो दीवारे भी दस्तक देती है अब क्या अलविदा कहने ही आये हो तुम,
फ़ख़त आज़माने इस आज़माइश को आज फिर एक दफा इश्क़ को गहराई तक लाये हो तुम,
अरे होते कौन हो ये कहने वाले,
की गर्दिश में समा सिर्फ तेरा जल चुका है,
सीने पर वार से देखो फ़िरसे ये दिल सजाकर लाये है हम।
हमने माना कि हालात बदल गए हमारे,
फिर भी हसरत करके इन जज़्बातों को तेरे खातिर उस कब्र में ही छोड़ आये है हम।-
बन्द है दरवाज़े आज भी उस चौखट के,
मैं निगाहे जिस ओर ले जाया करता हूँ वही,
वो कैद रखती है मेरी रूह को उन अंधेरो में,
मैं जागता नही सो पाता हूँ कभी,
और कहती है वो की हालात है हमारे,
मैं पूछता हूँ तफरीह की कहानी,
वो कहती है तुम बख्त हो,
मैं जानता हूँ सालो से माझी हमारी,
यूंतो दफ्न हूँ कब्र में सालो से नही पलटा,
इंतज़ार में हूँ नींद के,
मग़र वो भी नही मिलता,
तू अदावत रख भी ले मंज़ूर हमे होगा,
मैं मुसर्रत हूं तेरी खुशी से,
आ बैठ कभी पास मेरे तुझे सुनाऊंगा वो यादे पुरानी,
अब ये मत कहना डरती हो,
दोहरा ना देना सकाफत नूरानी,
हाँ मैं ठीक नही मग़र ठीक हूँ,
दफ़अतन याद आऊँ तो कहना मुझे,
काश खोल पाऊं ये बन्द दरवाज़ों की कहानि।-
क्या दलील दे
बन्द दरवाज़ों की उन्हें,
जो खुली खिड़कियों को भी
हमारी बेवफाई समझते है।
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Love is a random feeling that treats permanent emptiness temporary.
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ज़रा चुप सा बैठा है वो,
ना जाने किस रोज़ की
उसे ये शाम याद आयी है,
सालो से यूँही कही
गुम सा बैठा है वो,
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