वो कल था मेरा
हाँ जी वो कल था मेरा...
उसके हाथ मे हाथ था
वही सुकून का पल था मेरा....
पद्मा-
सफलता का एक सितारा हूं...
आज आगोश मे उनके आके सारे अश्क हम भूल गए
गर्मजोशी मे जो रिश्ते बने थे, उनकी एक छुवन से और निखर गए
पद्मा🌷-
महफिल में पलकें झुकाकर मुस्कुराती थी वो,
जब उठी पलकें तो जाना हमनें, असल में कितना दर्द छुपाती थी वो |-
पुरानी होकर भी ,
खास होती हैं...
बचपन की सभी यादें,
जनाब लाज़वाब होती हैं |-
तुझे पाने के ये बेबुनियादी ख़्वाब,
पल भर में जन्नत-सा एहसास दे जाते हैं,
जरा सोचु तुझे (aim) तो.....
सांझ-सवेरे मेरे निखर जाते हैं ....-
रंग बिरंगी यादें,
वो तेरी बातें,
कुछ चंचल शोख
हठीली यादें,
सतरंगी यादें,
वो हसीं बुनियादे,
घर की छत पर
साथ निभाने वाले वादे,
जलाती यादें,
वो अंतिम मुलाकाते,
फर्ज निभाने को
छूट जाने वाले नाते,
धुंधली यादें,
वो भुले - बिसरे गाने,
सब कुछ भूल जाने को
गुनगुनाती तराने|
काश! फिर कभी न लौटे वो चाहते...
-padma parmar
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1.रंग बिरंगी यादें, 3.जलाती यादें,
वो तेरी बातें, वो अंतिम मुलाकाते,
कुछ चंचल शोख फर्ज निभाने को
हठीली यादें, छूट जाने वाले नाते,
2.सतरंगी यादें, 4.धुंधली यादें,
वो हसीं बुनियादे, वो भुले - बिसरे गाने,
घर की छत पर. सब कुछ भूल जाने को
साथ निभाने वाले वादे, गुनगुनाती तराने|
5.काश! फिर लौट आती वो रंग बिरंगी बाते ....
- पद्मा परमार 🌷-
होती हैं जब भी नारी कोई कष्ट में,
देती हैं शक्ति माँ अम्बे तू ही उसे,
तब ही हर मुसीबत का डटकर सामना वो करती हैं,
उसकी हर तकलीफ को माँ तू हर लेती हैं,
.
जब भी अंकुश में करता कोई उसे ,
या करता हैं विवश किसी तरह उसे,
कर प्रहार रक्षा करती हैं माँ दुष्टो से ,
माँ अम्बे अपना-सा साहस भरती हर नारी में,
तभी तो उद्धार को इस जहां के,
माँ धर रूप नारी का गढ़ती हैं बार -बार स्वयं को|
.
पद्मा परमार-
बारिश की पहली बूंद आती हैं,
बिना आहट के वो धरती में समा जाती हैं,
जैसे उनकी नजदीकिया एक महक लाती है,
ऐसे हीे आना जैसे, वो महक सबको भाती हैं|-