Payal Saini  
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Jindagi ek lekh hai jitna bhi likho utna hi Baki rah jata hai
Joined 11 February 2020


Jindagi ek lekh hai jitna bhi likho utna hi Baki rah jata hai
Joined 11 February 2020
27 APR 2021 AT 10:52

ओर हर बात पर "चुप" रहने से ,
बनती बात "बिगड़" जाती है!

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7 FEB 2021 AT 23:36

इश्क़ मैं रंग-रूप क्या और मजहब क्या ,
इश्क़ वो श्याही है जनाब ,
जो लिख जाये तो मिट न पाये !

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8 JAN 2021 AT 0:06

ना किया कुछ उसने बड़े लाड़ो से पाली जा रही थी,
जो माँ के यहां थी रानीबेटी आज बहु बनने जा रही थी,
जिसे न थी कोई फिकर वो अब जिम्मेदारी निभाने जा रही थी !
माँ के दिए संस्कारों और नुस्खको से एक घर सँवारने जा रही थी ,
जिंदगी उस लाड़ली की अब बदलने जा रही थी !

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6 JAN 2021 AT 23:27

डरती हुँ अपने एहसासों को लिखने से ,
कहीं वो अल्फाज बनकर ना रह जाये !

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5 JAN 2021 AT 23:02

हाथो में जाम!
होंठो पर तेरा नाम !
यही है जीने का फरमान !

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5 JAN 2021 AT 22:52

ये क्या मैं खोज रही हुँ खुद ही कंही खो गयी हुँ !
बिन बरसे ही बारिश के कैसे पूरी भीग रही हु !
चिंत्य के इस पौधे को बिन पानी ही सींच रही हु !
क्या है मृत्यु क्या है जीवन बिन जाने ही भाग रही हु!

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17 OCT 2020 AT 10:56

मानने वालो के लिए बेटियां देवी का रूप होती है ,
न मानने वालो के लिए बस सर पर बोझ होती है !

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5 OCT 2020 AT 23:30

I usually end up writing about my hope and reality of life

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3 OCT 2020 AT 0:25

हर गली नुक्कड़ चौराहे उसकी इज्जत लुटती है,
फिर भी वो चुपचाप खड़ी दरवाजे पीछे छुपती है ,
कहीं उसी दरवाजे पीछे उसकी अस्मत बिकती है,
हद से ज्यादा बर्दास्त की सीमा रखती है !
ना जगा उसके अंदर की औरत वही.... "महाकाली" का रूप भी रखती है !

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1 OCT 2020 AT 12:09

A dream that just started and ended.

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