HAPPY WORLD POETRY DAY...🥰
सभी कवि कवित्रियों को विश्व कविता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..
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मेरा लहंगा उसकी शेरवानी
मेरा लहंगा भी तैयार था
उसकी शेरवानी भी तैयार थी
घर की दहलीज़ पे, कर रही उसका इंतज़ार थी
गोड़ी चढ़कर बेंड बाजे के साथ वो आ रहा था
सुन उन ढोल शहनाइयों की आवाज़,
दिल को भी कुछ हुआ था
देख हम दोनों का वो लाल लिबाज़
सब ने ख़ूब नज़रे उतारी थी
कहीं नज़र न लगे, ये लाल रंग खूब सझ रहा है
यह सुन में खुशी से शरमाए ही जा रही थी
लाल लहंगा, लाल चुड़ी, लाल वो सिन्दूर
हाथ में रख कर तुलसी और गाय
कर दिया मेरा कन्याधान था
कुछ आसुँ मेरे भी बहे
कुछ आसुंओं को महसूस किया था
बेटी को दुल्हन बनाकर
खुद के घर से ही किया विदा था
वो दिन आज भी याद है
जब मेरा लहंगा भी तैयार था
उसकी शेरवनी भी तैयार थी...-
दिन गुज़रे,
रात गुज़री,
पल गुज़रे,
यादें गुज़री
गुज़रा नही तो,
वो सिर्फ तेरा इंतज़ार
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देखें कुछ सपने
अब हक़ीकत है बनाना
ख्वाबों को अब
ख़्वाब के नाम से सजाना-
" याद "
तेरी बातें याद आती है
वो मुस्कान याद आती है
रूठी बातें बोहोत है
वो मुलाकाते याद आती है
छिप छिप कर मिलना याद आता है
वो तेरी हर बात टालना याद आता है
इस कसूर की हक़दार तो शायद हूं ही मैं
जो हर पल मुझे सताता है
किस से कहूँ , कैसे कहूं ये आंख भर आती है
पुराने ज़ख्म या हो जज़्बात मेरे वही दफ़न कर जाती है ..
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ख्वाबों का आशियाना
ख्वाबों का आशियान बनाने
निकली हूं घर से
कहाँ जाऊंगी, कहां जाना है
नहीं जान पाई,
कभी इन तेज़ हवाओं में बिखर सी जाती हूं
आसान नहीं है ये सफ़र इतना
मुश्किलों से भरे इन रास्ते को पार करते
शाम होते ही सिमट सी जाती हूं
जैसे दरिया में बह जाते ख़्वाब सारे,
कुछ रास्ते, कुछ गलियां ख़ूब सताते
वहीं घर की दीवारें मेरे ख्वाबों को सजाते,
सफ़र , मुश्किलें
दरिया और शामें
या चाहे हो रास्ते गलियां सुनसान
मैं फिर भी निकल पड़ती हूं बनाने
ख्वाबों का आशियान...-
Happy Man's Day
हर आसूं छिपाकर
हर दर्द छुपाकर
सबको खुश रखता हूं
कभी बेटा बनकर
कभी पिता बनकर
कभी भाई बनकर
तो
कभी पति बनकर
हर रिश्ता बख़ूबी निभाता हूं
दुआ है उस रब से
सबको खुश रखू कभी तकलीफ़ ना दूं
आख़िरकार ज़िम्मेदार इंसान बनना ख़ुद से जो सीखा हूं
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