Payal Kothiyal   (KaiZen)
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Sukoon
Joined 9 March 2020


Sukoon
Joined 9 March 2020
2 MAR 2023 AT 11:48

चलो एक काम करते है, यादों को ग़ुलाल करते है
खुशियों का एक जाम अपनों के नाम करते है
एक-दूसरे के रंग में रंगते है
कुछ तेरे रंग में रंगते है कुछ मेरे रंग में रंगते है♥️

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15 FEB 2023 AT 22:58

क्या लिखूँ तुझे लिखूँ या ख़ुद को लिखूँ
अच्छा लिखूँ या बुरा लिखूँ
सुकून लिखूँ या सुकून भरी तेरी बात लिखूँ
प्यार लिखूँ या प्यारा सा तेरा साथ लिखूँ
तुझे नादान लिखूँ या समझदार कोई इंसान लिखूँ
तेरा गुस्सा लिखूँ या प्यारी सी तेरी मुस्कान लिखूँ
दुनियादारी लिखूँ या तेरी मेरी यारी लिखूँ
इतना काफ़ी है या और लिखूँ

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13 FEB 2023 AT 8:24

जितना सोचना था मैंने उससे ज़्यादा ही कुछ सोच लिया
तेरे हिस्से का भी सोच लिया और मेरे हिस्से का भी सोच लिया
हाल ए इश्क़ में किस हद तक डरना मुनासिब होगा ज़रा बता तो सही ए हसीन शख्स
सिर्फ़ हारने पर ही डरना होगा या जीतने पर भी डरना होगा

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6 FEB 2023 AT 22:23

सोचा है ख्यालों से सीधा तुम्हें अपनी डायरी सजाऊँ
ख़ास हो तुम ये बात हर अल्फाज़ में समझाऊँ
जज़्बात हो जो तुम वो सबको बताऊँ
क्या हो तुम, तुमको दिखाऊँ♥️

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30 JAN 2023 AT 21:56

कल हासिल होने वाली सफलता का अर्थ क्या,
अगर हमारे आज के लोग उसमें शामिल ना हो|

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22 JAN 2023 AT 14:04

एक ख़्याल

इश्क़ की क्यों इतनी अलग सी दुनियादारी है? क्यूँ ये समाज के महजब, रीती-रिवाज़, पसंद ना पसंद, छोटे-बड़े, अमीरी-गरीबी और ऊंच-नीच वाले पैमानों से है यूँ बेख़बर, क्यूँ इसने बनाए है इनसे इतने फासले और मैं भी कितना पागल था ना, जिससे ख़ुद को महफूज़ रखना चाहता था, जिससे इतनी दूरियां बना रखी थी, जिससे मैं मिलना ही नहीं चाहता था, कब उससे घुलता रहा, कब उससे यूँ मिलता रहा कुछ पता ही नहीं चला| फिर जब पता चला तब तक काफी नहीं बहुत देर हो गई थी| यार कुछ पता ही नहीं चला कि हाँ यहाँ पे थोड़ा रुकना होगा कि हाँ यहाँ पर हम दोनों को संभालना होगा| कभी कभी तो लगता है कि हम दोनों के सामने ये रुकने और संभलने वाला फेज आया ही नहीं और आया भी तो कब हम दोनों इस बात से इतने बेख़बर हो गये| फिर बस इतना सोचता हूँ कि काश हम वही पे सब कुछ संभाल लेते या रोक लेते तो शायद सब कुछ ठीक होता| क्योंकी अब बात सिर्फ़ मेरे दिल की नहीं है उस दिल की भी है, जिसका ख़्याल मैंने हमेशा ख़ुद से ज़्यादा रखा, जिसे हर पल मेरी जरुरत है, जो अभी मेरा दीवाना है| ये सब इतना मुश्किल क्यों होता है और जिसको कभी सोचा भी नहीं इस दिल ने उसी को क्यों चाहा| अब तो आँखों के सामने एक आईना होता है जिसमें खूबसूरत, मासूम और प्यारा सा वो चेहरा होता है|

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14 JAN 2023 AT 17:52

इस सफ़र के तुम हमसफ़र बनोगे क्या?
खूबसूरत है ये इश्क़ का एहसास, मेरे इस खूबसूरत एहसास की तुम वज़ह बनोगे क्या?
सबके सवालों के तुम ज़वाब बनोगे क्या?
अच्छा सुनो, मुझे अपना नाम मेरी कविता में लिखने दोगे क्या?

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25 NOV 2022 AT 11:11

पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे

उड़े उन रंगों में रंगीन कुछ हमसे,
पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे|

कैद उन लम्हों में बेफ़िक्र कुछ हमसे,
पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे|

थामें उन यादों को मुस्कराते कुछ हमसे,
पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे|

ठहरे उस समय से खेलते कुछ हमसे,
पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे|

लौटने उस वक़्त में तरसते कुछ हमसे,
पुरानी इस तस्वीर में नए कुछ हमसे|



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23 OCT 2022 AT 18:27

वो मेरा
वो मेरा सपना बनाने आया था या सपना बन के आया था,
पता नहीं पर जो भी हो वो मुझे मुझसे मिलाने आया था|

बड़ी-सी इस दुनिया में सिर्फ़ मेरा हाथ थामने आया था,
दूर किसी मंज़िल के वो मुझे पास ले जाने आया था|

Suffer को मेरे Safar बनाने आया था,
अकेली नहीं हूँ मुझे ये समझाने आया था|

आँखों से मेरे हर आँसू पीने आया था,
बया कर सकूँ जज़्बात ऐसा आईना बन के आया था|

सवालों के मेरे खूबसूरत ज़वाब बन के आया था,
पूरा हो सके ऐसा ख़्वाब बन के आया था|

अधूरी थी कहानी जो उसे पूरा करने आया था,
दोस्त था मेरा दोस्ती निभाने आया था|

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10 MAR 2022 AT 0:13

हाँ मैंने उसे देखा है

बिना आवाज़ के चिलाते हाँ उसको मैंने देखा हैं,
बगैर पानी के भीगी उसकी आँखोंओं को मैंने उसके देखा है,

दफ़न करते अपनी ख्वाहिशओं को हाँ उसको मैंने देखा है,
बिना आग के जलते सपनोंओ को मैंने उसके देखा हैं,

कोशिशओं की नाकामियों को हाँ उसके मैंने देखा हैं,
अल्फाजों को ख़ामोशी में सजाते मैंने उसको देखा हैं,

साथियों के साथ भी हाँ अकेला उसको मैंने देखा है,
और हाँ दर्द में भी मुस्कारते मैंने उसको देखा,

हर पल हारते-हारते जीतेते उसको मैंने देखा है|

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