pawandas bairagi   (Pawandas 'बैरागी')
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Insta-https://www.instagram.com/pvn_das_writes/
Joined 27 April 2019


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3 MAY AT 8:25

बालों के दो मुँह हुए, तो चिंता बारम्बार।
सौ-सौ मुँह खुद ने किए, न आया तनिक विचार।।

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22 JAN AT 15:16

"इम्तिहान"
रह खड़ा तू डटकर यह इम्तिहान है
चलता जा निरंतर यह इम्तिहान है...
कोई अड़चन नहीं है ऐसी कि तुझको रोक दे
तन बचाकर क्या करेगा? श्रम-भट्टी में झोंक दे
रुकने का नाम न ले... जब तक ये जान है।
चलता जा निरंतर यह इम्तिहान है..!
चुभते है काँटे, लगती है ठोकरें
मुश्किलें तो आती है, सत्कर्म जो करे
दो-चार ज़ख़्म तन पर तो वीरों की शान है।
चलता जा निरंतर यह इम्तिहान है...!
उन पुरानी राहों पर तो लगता होगा मेला
जब रास्ता नया है तो चलना भी है अकेला
डर की नहीं गुंजाईश गर तू वाकई जवान है।
चलता जा निरंतर यह इम्तिहान है..!

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10 JAN AT 20:17

ऐसा न दिन बीता न शब हुई
जो दिल की गली से तू गुजरा नहीं
ऐसा न दिन बीता...
चला जा रहा हूँ मीलों सफर में
तब मैं जहाँ था, हूँ अब भी वहीं
ऐसा न दिन बीता...
सोचा नहीं था जो कर रहा था
जो कर रहा हूँ, वो समझा नहीं
ऐसा न दिन बीता...
खेल अज़ब था मोहरे ग़ज़ब थे
जो शख़्स जीता... हारा वही
ऐसा न दिन बीता...

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29 SEP 2023 AT 19:26

यह धर्म है?

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6 JUL 2023 AT 21:29

हर रात वो दूर चला जाता काफ़िले से कहीं
पहले लगा चोर है शायद या किसी से मिलने जाता है
पर इक रोज़ मैने देखा उसे चुपके से
वो चुपचाप बैठा था
आसमान देख रहा था या तारे गिन रहा था
पर उसके मुख पर न भाव था आसमान देखने का
न गिनती न हिसाब!
मानो किसी ने श्राप दिया हो जा......पत्थर बन जा!
अहिल्या की तरह।
पर तब तो श्रीराम आए थे अहिल्या के उद्धार को
क्या अब भी.....?

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3 JUN 2023 AT 17:10

सीखे जा रहा हूँ, जब से सीखना सीखा...

सीखकर सीखा कि कुछ नहीं सीखा।

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5 JAN 2023 AT 19:54

रहा करते थे कभी जिन्न भी चिराग़ों में
अब तो हर चिराग़ में बस तूफ़ान कैद है।

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4 DEC 2022 AT 19:29

जिंदगी आलस में बीत जाती है इतवार की तरह
मौत सामने खड़ी होती है सोमवार की तरह
क्या पाया, क्या खोया जब इसका हिसाब लगाता
देखकर नतीजा सिफ़र में हैरान रह जाता
अब तुझे इस आलस का मोल चुकाना होगा
दुःख सागर इस दुनिया में फिर जन्म पाना होगा
हाथों के बल तुझे अब पहाड़ चढ़ना होगा
किस्मत-मूर्ति को अपने हाथ गढ़ना होगा
कई चुनोतियाँ आड़े आती है दिवार की तरह
जिंदगी आलस में बीत जाती है इतवार की तरह।

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11 NOV 2022 AT 20:15

जाते रहते है, सताते रहते है
ख़याल का क्या है, आते रहते है।

सोचा क्या था और कर क्या रहा है
कभी सच तो कभी झूठ, समझाते रहते है
ख़याल का क्या है, आते रहते है।

डूबा रहता है मन किसी चिंता में कभी
दूर बैठकर ये, मुस्कुराते रहते है
ख़याल का क्या है, आते रहते है।

किसी काम की पेचीदगी को समझते कहाँ ये
मीठे-मीठे ख़्वाबों से, लुभाते रहते है
ख़याल का क्या है, आते रहते है।

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4 OCT 2022 AT 20:55

जल धरा का पीता चातक, प्यास अधिक लग जाने से
परवाना डरकर बैठा है, शम्मा के जल जाने से
बाह्य वर्ण को देखे दुनिया, अन्तस् का कोई मोल नहीं
टूटी तलवारें बिक जाती है, केवल म्यान सजाने से।

जिसमें भोजन पाया इसने, उस थाली में छेद किया
नारी से ही जीवन पाकर, नर-नारी में भेद किया
मद से मन्दमति बौराया, अहंकार में फुला है
गलती का प्रायश्चित हो जाए, पाप न रहा भूलाने से

देवालय सुन-सान पड़े है, शोर उठा मयख़ाने से
हर्षित मानव हो रहा है, दानव आज कहाने से
सत्य, करुणा, दया नहीं कुछ, स्वार्थ-सिद्धि सर्वोत्तम है
'कबी' है इसका हश्र क्या होना, पूछो कोई जमाने से

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