तुमरा बुढेंद अणबिवाग नौंनों ब्यवे सकुल ।मी भाभर देरादूने जमीन थोड़ी छौं ।। ~ पवन पहाड़ी (पाँथरी) -
तुमरा बुढेंद अणबिवाग नौंनों ब्यवे सकुल ।मी भाभर देरादूने जमीन थोड़ी छौं ।। ~ पवन पहाड़ी (पाँथरी)
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एकसुड़्या छैंछौं, पर अफमे लीन थोड़ी छौं ।मि सब्यूं की सुणदु, कै नेतो मुनीम थोड़ी छौं ।। घार का लगुलों मगै ग्वीराल छीमी ।देसा की मंड्यूं मा बिकदी बीन थोड़ी छौं ।।लोग मिथे देखी कि पौंली मौली जाला ।मि घर गुदड़या, क्वी फिल्मी सीन थोड़ी छौं ।। जरा जरा के ढूंणूं छौं खैर्यूं कु बोझ मी । मनखी छौं आख़िर, मोटर मशीन थोड़ी छौं ।। अर यन त नीच दुनिया त मेरी भी द्यखीं च । मि एक ही ढंडी मगे की मीन थोड़ी छौं ।।तुमरा बुढेंद अणबिवाग नौंनों ब्यवे सकुल ।मी भाभर देरादूने जमीन थोड़ी छौं ।। ~ पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳 -
एकसुड़्या छैंछौं, पर अफमे लीन थोड़ी छौं ।मि सब्यूं की सुणदु, कै नेतो मुनीम थोड़ी छौं ।। घार का लगुलों मगै ग्वीराल छीमी ।देसा की मंड्यूं मा बिकदी बीन थोड़ी छौं ।।लोग मिथे देखी कि पौंली मौली जाला ।मि घर गुदड़या, क्वी फिल्मी सीन थोड़ी छौं ।। जरा जरा के ढूंणूं छौं खैर्यूं कु बोझ मी । मनखी छौं आख़िर, मोटर मशीन थोड़ी छौं ।। अर यन त नीच दुनिया त मेरी भी द्यखीं च । मि एक ही ढंडी मगे की मीन थोड़ी छौं ।।तुमरा बुढेंद अणबिवाग नौंनों ब्यवे सकुल ।मी भाभर देरादूने जमीन थोड़ी छौं ।। ~ पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳
आँख्यूं मा आस का बादल लेकि बूँद-बूँद के बरखणू रौं । ना ह्वाई तेरी फगत निहोण्या, मि तेरी हाँ खुणे तरसणू रौं ।। -
आँख्यूं मा आस का बादल लेकि बूँद-बूँद के बरखणू रौं । ना ह्वाई तेरी फगत निहोण्या, मि तेरी हाँ खुणे तरसणू रौं ।।
रोज़ खुद को खो कर, खुद की ही तलाश करती हूँ...! ~ शिवानी -
रोज़ खुद को खो कर, खुद की ही तलाश करती हूँ...! ~ शिवानी
न जाने क्या कमी रह गई है मुझमें,न जाने किस हुनर की तलाश में है वो..!! -
न जाने क्या कमी रह गई है मुझमें,न जाने किस हुनर की तलाश में है वो..!!
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वफ़ा, इश्क, मुहब्बत, प्यार के दिन,अब न लौटेंगे, वो बेकार के दिन..!! बजार-ए-यार की खिदमत में लुटाऐ जो, सस्ते, सड़क-छाप, चोर-बज़ार के दिन.!! हर पल खुशियाँ, हर दिन दीवाली, झूठी रौनकें, झूठे त्योहार के दिन..!! बात - बात पर बनना बिगड़ना यारों, खामख्वाह होती तकरार के दिन..!! बेदिली, बेमुरव्वत नशेमन यार की, आजिज़ी, इल्तज़ा, इसरार के दिन.!! अरमानों का खेल खेलते “पावन”, इज़हार और इनकार के दिन..!! ~पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳 -
वफ़ा, इश्क, मुहब्बत, प्यार के दिन,अब न लौटेंगे, वो बेकार के दिन..!! बजार-ए-यार की खिदमत में लुटाऐ जो, सस्ते, सड़क-छाप, चोर-बज़ार के दिन.!! हर पल खुशियाँ, हर दिन दीवाली, झूठी रौनकें, झूठे त्योहार के दिन..!! बात - बात पर बनना बिगड़ना यारों, खामख्वाह होती तकरार के दिन..!! बेदिली, बेमुरव्वत नशेमन यार की, आजिज़ी, इल्तज़ा, इसरार के दिन.!! अरमानों का खेल खेलते “पावन”, इज़हार और इनकार के दिन..!! ~पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳
क्या कहता फिरे है कोई तुम्हें,इन तंज से खुद को बेख़बर रखना । स्वंय श्रेष्ठ हो तुम ये ध्यान रहे, बस अपने रास्तों पर नज़र रखना ।। -
क्या कहता फिरे है कोई तुम्हें,इन तंज से खुद को बेख़बर रखना । स्वंय श्रेष्ठ हो तुम ये ध्यान रहे, बस अपने रास्तों पर नज़र रखना ।।
ध्वका खै-खै की जिकुड़ु कैणास केर याली..! भलि-अदमैल मेरी ज़िंदगी कु बिणास केर याली..!! -
ध्वका खै-खै की जिकुड़ु कैणास केर याली..! भलि-अदमैल मेरी ज़िंदगी कु बिणास केर याली..!!
करीं बोलीं गोला खुणे फांस ह्वे ग्याइ, ज़िंदगी जन क्वी जिंदा लांस ह्वे ग्याइ ।।मेरा ओर धोर इतगा भीड़ जो दिखेणी च,माने कि इतगे ही यकुलांस ह्वे ग्याइ ।।छिटला अर कटोरी का जील रंदिन मेरा काख फर,दूर मैं से फ्योंली अर बुरांस ह्वे ग्याइ ।।बणीं बात मेरी बिगड़ जांद होंद होंद तक, जोगा कु मेरा निपट निरास ह्वे ग्याइ ।।उन त अभि गए नीच उमर लड़िकपन की मेरी, पर सबक जन की बावन पचास ह्वे ग्याइ ।। हिकमत बंधीं त धौ च भैर ठिक दिखेणू “पावन” पर झूठ क्यो ब्वन अब त ईखरी श्वांस ह्वे ग्याइ ।। ~पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳 -
करीं बोलीं गोला खुणे फांस ह्वे ग्याइ, ज़िंदगी जन क्वी जिंदा लांस ह्वे ग्याइ ।।मेरा ओर धोर इतगा भीड़ जो दिखेणी च,माने कि इतगे ही यकुलांस ह्वे ग्याइ ।।छिटला अर कटोरी का जील रंदिन मेरा काख फर,दूर मैं से फ्योंली अर बुरांस ह्वे ग्याइ ।।बणीं बात मेरी बिगड़ जांद होंद होंद तक, जोगा कु मेरा निपट निरास ह्वे ग्याइ ।।उन त अभि गए नीच उमर लड़िकपन की मेरी, पर सबक जन की बावन पचास ह्वे ग्याइ ।। हिकमत बंधीं त धौ च भैर ठिक दिखेणू “पावन” पर झूठ क्यो ब्वन अब त ईखरी श्वांस ह्वे ग्याइ ।। ~पवन पहाड़ी (पाँथरी) 🌲🌳