मुसाफिर हूँ इस जीवन पथ का,
नियति मेरी है चलते रहना,
धूप कड़ी हो बरसाती अंगारे,
या धुआं धूंआ हो छाया चहुं ओर,
मंज़िल पाने में आएं भले भीषण मोड़,
जीवनसाथी हो संग तो नहीं है फिक्र,
दोनों मिलकर जीवन नईया पार लगाएंगे,
जीवन का सफर यूं रंगीन बनाएंगे।
- राहगुज़र... Rolling Stone