एक वचन और बहुवचन में फर्क बहुत है,
एक में हम नहीं हो सकता,और हम अकेला नहीं हो सकता है,
तो समझिए कि मेरे और हमारे में भी अंतर बहुत है,
नज़रिया है हर एक का अपना अपना,
किसी एक का नज़रिया निज़ाम नहीं हो सकता।-
"रिश्ते" तोड़ने तो नहीं चाहिए,
लेकिन...
जहाँ "कद्र" न ह... read more
एक वचन और बहुवचन में फर्क बहुत हैं,
एक में हम नहीं हो सकता,और हम अकेला नहीं हो सकता है,
तो समझिए कि मेरे और हमारे में भी अंतर बहुत है,
पर समझने के लिए कोई पैमाना निर्धारित नहीं,
खुद समझ और समझदारी में अंतर बहुत है,
समझते हम वो हैं जो हमारा दृष्टिकोण चाहता है,
कहने का तात्पर्य क्या है यह हमारा मन समझाता है,
पढ़े-लिखे होने में और समझदार होने में भी फर्क बहुत है,
देखे है मैंने पढ़े लिखे बहुतेरे,समझ से उनका फासला बहुत है।-
हमारा घर परिवार के हर व्यक्ति से बनता है,
इसमें मेरा- तुम्हारा,सबका अस्तित्व पनपता है,
यदि परिवार के सदस्य न हों इसमें तो घर बस मकान कहलाता है,
स्वभाव भले ही हर एक का अपना अपना हो अलग,
मिजाज भी अलग हैं और अंदाज भी हैं अलग,
और अलग अलग चलते हर एक के प्रसंग,
फिर भी बगिया के फूल कांटों जैसे रहते हैं सभी संग,
ना कांटों को खुशबू फैलानी पड़ी और ना ही फूल करना पड़ा अपना संरक्षण।-
Sit straight and buckle up when fear turns tormentor,
It's not for you to crouch, but to turn into a gladiator,
To fend off any feelings of dismay or despair,
For it's for you to fight back and live free of any fear,
Several shades Life to you does show,
Colours for you to choose to build a rainbow.-
अकेले हो तो क्या, ऊपरवाला भी तो अकेला है,
रहो अपने मन की मस्ती में,चार दिनों का ही मेला है,
आए थे अकेले और अकेले ही फिर जाना है,
उडाओ फिक्र हवाओं में,बनने देना नहीं इनका ठिकाना है।-
Why feel lonely when alone,
After all,we came and we will go alone,
Seek solitude instead of loneliness,
For that's the secret of being in oneness,
With yourself and with your Creator,
He too is alone, but complains He never.-
माता पिता बनोगे तब ही समझ पाओगे,
कि मां बाप की भावनाओं को तब ही भांप पाओगे,
कुछ प्रश्नों का उत्तर वक्त ही दे पाता है,
देखते हैं कि तुम्हारा वक्त कब आता है,
याद रहे कि वक्त अधिकतर अपने आपको दौहराता है,
महफूज़ रहे तुम्हारी सोच, देखते हैं कि भविष्य क्या दिखाता है।-
प्रश्न तुम्हारा सही नहीं है कि हम कहां और क्यों थे,
प्रश्न ज़रूरी यह है कि हमने क्या ऐसे प्रश्न तुमसे किये थे,
अनावश्यक फायदा ना उठाओ हमारी सादगी का,
दिन तुम्हारा भी आएगा रब्ब के सामने करने गुनाहों की पैरवी का,
हमने तो सदा सराहाकर तुम्हें, शायद कोई गुनाह किया हो,
वक्त ही जवाब देगा अंतोगत्वा तुम्हारी गलतफहमियों का।-
तुम क्या हो, मुझसे बेहतर कौन जान सकता है,
तुमहारा जन्मदाता होने के नाते, तुम्हारी हर अदा पहचानना मुश्किल नहीं है,
तुम हो सकते हो भले ही मुझसे ज्यादा लिखे पढ़े ,
पर तुमसे ज्यादा देख हैं मैंने श्रावण और तूफ़ान हैं सहे,
हो सकता है तुम्हें आधुनिक स्रोतों का ज्ञान ज्यादा हो,
पर ज़रूरी नहीं कि तुम्हें अपनी जड़ों पर पहचान हो,
हम सभी की पहचान आखिर हमारी जड़ों से ही तो है,
तुम्हारे लिए शायद यह भी तुम्हारे ज्ञान का अभिमान है।-
भरोसा करिये खुद पर रखो ना उम्मीद किसी से,
सफ़र ज़िंदगी का हमें काटना है,रखो यकीं खुद ही पे,
जिसको देना है साथ वो खुद ही हाथ बढाएगा,
करो ना चिंता कल की चोंच देने वाला दाना भी दिलवाएगा।-