शहर की रौनक अब कम हो गई
मजदूर सारे अपने घर गए होंगे,
बहुत दिनों से मैंने अखबार नहीं पढ़ा
जाने कितने लोग ठंड से मर गए होंगे।-
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When I die, write these lines on my grave :-
ख़िज़ाँ क... read more
चीख़ती पुकारती आवाजें दफ़्न हैं इक रिवाज़ से
बेजुबां है चहक कलियों की मजबूर हालात से
वहीं इफ्तार-ओ-दीवाली फागन हैं कहीं
कहीं गूंज है बेशरम ठहाकों की कहीं
मुर्दा है रूह और जिस्म संग-ए-मरमर है कहीं
वहीं रूह झांकती है फटे हुए जिस्म के दरीचों से कहीं-
कहीं ईद तो कहीं दीवाली सबका अपना जरिया है
राम और अल्लाह दोनों एक हैं, बाकी सब नज़रिया है-
ये इल्म हुआ एक बच्चे का खिलौना देखकर
कब गुज़रा बचपन क्या खबर कुछ पता ही नहीं-
कहां तब वो ख़ुदा तेरे दीवाने गए
मुफ़लिश जब मस्जिदों से निकाले गए
फ़क़त इंसा होने की सजा दे रहा था जाहिल
कूंचा ए बाजार में बेगैरत जूलूस निकाले गए
मदद ए माश मिला जाहिदों को
हम थे कि तेरी गली से निकाले गए-
Iqraar abhi baaki h
abhi deni h ring with pearl
Baal to bikhre hain dono ke hi
mere be-tarteeb se uske hote curl
Mai hu Yamuna paar ka ladka
aur wo h south Delhi ki girl-
एक ही बात में छुपी होती हैं हजार बातें
अच्छी बातें तो ठीक हैं मजा देती हैं उसकी बेकार बातें
जब मन में रहता है तसव्वुर हर वक्त उसका
तो क्या हिज्र की बातें क्या विसाल-ए-यार की बातें-
ना आंगन मयस्सर हुआ गांव का
ना बहुत ऊंची इमारतों में रहे
उम्र गुजार दी बस खुशफ़हमी में
तेरे कूँचे को जन्नत समझते रहे-
waning crescent to new moon
be with me I'll make us
the full moon
roaming around gibbous-
फ़रेब खाने की मेरी आदत पुरानी है
फिर उस बेईमान से मोहब्बत निभानी है
हाथों में लेके हाथ उस क़ातिल ने पूछा
मंजूर है दिल का सौदा या जान गंवानी है
पोशीदा खंज़र बगल में हाथों में गुलाब रखते हैं
दोस्त हो या दुश्मन सबकी यही कहानी है
मुझे याद करेगा एक दिन कोई मेरा मुरीद
लफ्ज़ बूढ़े हो जाए, मगर लहज़े में जवानी है
किताबें महक रहीं हैं तेरी ख़ुशबू से पवन
मौजूद उसके पास तेरी यही इक निशानी है-