Pavan Pakar  
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Joined 11 November 2017


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Joined 11 November 2017
6 MAR 2024 AT 0:45

शहर की रौनक अब कम हो गई
मजदूर सारे अपने घर गए होंगे,

बहुत दिनों से मैंने अखबार नहीं पढ़ा
जाने कितने लोग ठंड से मर गए होंगे।

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24 OCT 2022 AT 11:16

चीख़ती पुकारती आवाजें दफ़्न हैं इक रिवाज़ से
बेजुबां है चहक कलियों की मजबूर हालात से
वहीं इफ्तार-ओ-दीवाली फागन हैं कहीं
कहीं गूंज है बेशरम ठहाकों की कहीं

मुर्दा है रूह और जिस्म संग-ए-मरमर है कहीं
वहीं रूह झांकती है फटे हुए जिस्म के दरीचों से कहीं

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23 OCT 2022 AT 9:11

कहीं ईद तो कहीं दीवाली सबका अपना जरिया है
राम और अल्लाह दोनों एक हैं, बाकी सब नज़रिया है

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23 AUG 2021 AT 18:05


ये इल्म हुआ एक बच्चे का खिलौना देखकर
कब गुज़रा बचपन क्या खबर कुछ पता ही नहीं

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18 AUG 2021 AT 21:23

कहां तब वो ख़ुदा तेरे दीवाने गए
मुफ़लिश जब मस्जिदों से निकाले गए

फ़क़त इंसा होने की सजा दे रहा था जाहिल
कूंचा ए बाजार में बेगैरत जूलूस निकाले गए

मदद ए माश मिला जाहिदों को
हम थे कि तेरी गली से निकाले गए

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28 JUL 2021 AT 16:36

Iqraar abhi baaki h
abhi deni h ring with pearl

Baal to bikhre hain dono ke hi
mere be-tarteeb se uske hote curl

Mai hu Yamuna paar ka ladka
aur wo h south Delhi ki girl

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22 JUL 2021 AT 19:34

एक ही बात में छुपी होती हैं हजार बातें
अच्छी बातें तो ठीक हैं मजा देती हैं उसकी बेकार बातें

जब मन में रहता है तसव्वुर हर वक्त उसका
तो क्या हिज्र की बातें क्या विसाल-ए-यार की बातें

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18 JUL 2021 AT 9:33

ना आंगन मयस्सर हुआ गांव का
ना बहुत ऊंची इमारतों में रहे
उम्र गुजार दी बस खुशफ़हमी में
तेरे कूँचे को जन्नत समझते रहे

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2 JUL 2021 AT 1:41

waning crescent to new moon
be with me I'll make us
the full moon
roaming around gibbous

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13 JUN 2021 AT 15:47

फ़रेब खाने की मेरी आदत पुरानी है
फिर उस बेईमान से मोहब्बत निभानी है

हाथों में लेके हाथ उस क़ातिल ने पूछा
मंजूर है दिल का सौदा या जान गंवानी है

पोशीदा खंज़र बगल में हाथों में गुलाब रखते हैं
दोस्त हो या दुश्मन सबकी यही कहानी है

मुझे याद करेगा एक दिन कोई मेरा मुरीद
लफ्ज़ बूढ़े हो जाए, मगर लहज़े में जवानी है

किताबें महक रहीं हैं तेरी ख़ुशबू से पवन
मौजूद उसके पास तेरी यही इक निशानी है

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