अज़ब सा दौर यूँ ही जग जाता हूँ मैं रात भर
ना कोई दर्दे दवा है ना कोई हमें पूछने वाला।।-
यूँ ही जीवन भर तेरे ख्यालों में खोया रहा हूँ ओर रहूँगा मैं,,
तुम मिल के भी ना मिले इस ख़्याल में जिया करूँगा मैं।।-
एक वक़्त हुवा करता था तब जब आप किसी के लिए ख़ास हुआ करते थे,
आज भी वक़्त वहीं है पर पर आप ख़ास तब होते हो जब वो फुर्सत में होते हैं।।-
रोज़ निकलता हूँ मैं तो मौत की इंतज़ार में,
पर कमबख्त मुक़द्दस रोज़ धोखा दे जाता हैं।।
*✍️पाटोदिया मुकेश✍️*-
मुझें ना तेरी ज़रूरत है ऐ-ख़ुदा ना किसी ओर की,
मैंने तेरी ख़ुदाई भी देखी है ओर हर एक की सच्चाई भी।।
*✍️पाटोदिया मुकेश✍️*-
अपनों ने ही इस कदर लुटा है
की चाँदनी भी जलाने लगी हैं।।
*✍️पाटोदिया मुकेश✍️*-
ज़िन्दगी में ना ही कोई आरंभ है और ना ही तो कोई अंत,
फ़क़त कुछ है भी तो वो सिर्फ़ ओर सिर्फ़ केवल मात्र शून्य।।
*✒️🅾️⭕पाटोदिया मुकेश⭕🅾️✒️*-
तू-तू , मैं-मैं कर हम एक-दूसरे के ऐब पर चर्चा करतें है,
तू-तू , मैं-मैं के समय क्यों नहीं अपने गिरेबाँ में झाँकते हैं।।
✒️ PATODIA MUKESH✒️-
ज़िन्दगी गुज़रती नही दौड़ती है
वक़्त से भी तेज रफ़्तार होती है
छूट जाते पीछे मुस्कराते रिश्ते है
उम्र पहर से भी तेज़ गुज़रती है
जैसे पानी मुठ्ठी में कैद नही होता
रेत भांति उम्र ख़ुद से गुज़र जाती है
सोचते-2 पल-2 जिंदगी गुज़र जाती है
ठहरतीं नहीं जिंदगी फ़िसल जाती हैं।।
✍️पाटोदिया मुकेश✍️-
अपनों के लिए जीवन में हम टूट कर इस क़दर बिखरे,
ज़र्रा ज़र्रा यूँ गुम हो गया फ़िज़ा में मानों अंश उसी का,
कण-कण विलीन हुवा ना जानें मेरा कहाँ हवा सँग बहता,
आज अब गर करता हूँ समेटने की कोशिशें तो ज़र्रा तक नहीं मिलता।।-