•••दर्द हुआ °°बोहत°°
दिन के बाद
फ़िर
°°सुर्मा°°
याद आयी मुझे•••
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मुझको मेरे मालिक थोड़े दुश्मन अता फ़रमा•••
🖤दिवस... read more
•••बहुत चुन चुनकर
लिखती हुँ मैं अल्फ़ाज़ "उनपर"
°°°सुर्मा °°°
कोई °°°तीसरा°°° मेरे जज़्बात क्या "बात" भी समझ नहीं पाता•••-
•••दुनियाँ भर की ख़बरें पहुँच जाती हैं मुझ तक
°सुर्मा°
एक उसिका हाल जानना मुश्किल क्यों है इतना•••
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•••नूर लाते हैं जो ज़िंदगी में अक्सर
°सुर्मा°
वही अफ़रोज़ "स्याह" भी कर जाते हैं इक़ दिन•••-
•••मुझे नहीं आता "सुर्मा" किसी और के जैसे बनना
साये से भी °°शबाहत°°मिलती नही मेरी•••-
"सुर्मा" किस रूह से करू मैं ताज़ीम उसकी
भुलाया जाता नही मुझसे वो लफ्ज़ जिनमें ज़िल्लते थी...!-
•••जो कुछ भी अजा़ब हम पर आज नाजि़ल हैं "सुर्मा"
ये कुछ और नही उल्फ़तों का खा़मियाज़ा है•••-
उस घर में “सुर्मा” अपना कोई सामान ही न था
तभी सोचा क्यूँ ना घर से निकल ही जाऊँ मैं
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पिघलता है,
दिल का
हर ज़ख़्म...
उसी “पत्थर”
के आगे
सजदे में
घिसकर जिसे,,,
“चंदन”
बनाया था...!!!
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