तेरे सीने से लगकर तेरी आरजू बन जाऊँ, तेरी साँसो से मिलकर तेरी खुश्बू बन जाऊँ, फासले ना रहें कोई तेरे मेरे दरमिआँ, मैं…मैं ना रहूँ, बस तू ही तू बन जाऊँ मोहब्बत से कह कर....
वो पल पल बीते साल लिखूं या वो लंबी लंबी रात लिखूं मैं तुम्हें अपने पास लिखूं या दूरी का एहसास लिखूं या ग़ुस्से वाली सब बात लिखूं मेरे खामोश लबों से और क्या अल्फाज़ लिखूँ
मेरी ख़्वाहिश यही है बस! तू रहे सामने तुझे देखा करूँ तू कर कभी इतना प्यार मुझ से मैं ख़ुद से मिलने को तरसूँ! तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र! एहसास तथा तेरा ख़यालात तू कौन है जो हर जगह ढूँढता हूँ मैं
खामोश होकर खुशी की तलाश में हूँ कभी मेरा घर न मिला उसे कभी वह न मिल रही मुझे पढ़ भी कैसे सकता है मुझे कोई मुस्कराने की हुनर जन्म ज़ात है थोड़ा मेहरबां हो जा ऐ खुशी थक न जाऊँ तुम्हारी चाह मे