Parwez Shaikh   (Parwez Ali)
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Writer
Joined 4 April 2019


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Joined 4 April 2019
11 APR 2022 AT 6:22

जिंदगी कट तो रही है, आवारा ही सही |
मेरी कुछ पहचान तो है, बेचारा ही सही |

तुझसे दूर जाते तो, मर ही जाते हम,
हम तेरे पास तो है, जैसे सय्यारा ही सही |

दिल लगाने के लिए सीने मे दिल भी होना चाहिए,
हा... मेरे पास दिल है, गमो का मारा ही सही |

नहीं हसरत के मिले चाँद मुझको,
मिले मुझको टुटा हुवा सितारा ही सही |

कुछ कहना गर तुझे गवारा नहीं,
बस दे दे मुझे कोई इशारा ही सही |

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10 APR 2022 AT 7:30

क़ली मेरे चमन मे खींली है शायद,
तेरे रूह कि फिजा उसे मिली है शायद |

आ रही है खुशबु गुले गुलजार कि,
तेरे घर से ये हवा चली है शायद |

रातभर वो परवाने को ढूंढ़ती रही,
इसबार शमा भी जली है शायद |

कही भी जाता हु तो ठेहरसा जाता हु,
लगता है के ये तेरी गली है शायद |

तेरी आँखों को देखा तो एहसास ये हुवा,
तू भी रातभर जगी है शायद |

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8 APR 2022 AT 6:34

अल्लाह चाहे धुप दे, अल्लाह चाहे छाँव दे|
अल्लाह चाहे दर्द दे, अल्लाह चाहे घाव दे |

ख़ुशी दे या गम दे मुझको, या तकलीफो का गाँव दे|
तेरी मर्जी मे है मर्जी मेरी, बस दिल मे करुणा का भाव दे |

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20 MAR 2022 AT 14:59

https://youtu.be/ABqtv30T6_g
मेरी नयी शायरी " तेरी गली " जरूर सुने. अगर आपको मेरे शेर, शायरी, कविता अच्छे लगते है तो लाइक, कमेंट और शेयर जरूर करें.

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11 MAR 2022 AT 7:43

हे दोस्तों, मेरा नया रोमांटिक सॉन्ग " तेरी तलाश " जरूर सुने . लाइक, कमैंट्स और शेयर जरूर करें.

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1 FEB 2022 AT 12:43

जिंदगी की फ़िक्र वही लोग किया करते है, जिन्हे अल्लाह पर भरोसा नहीं होता |
जिंदगी की फ़िक्र छोड़ो, आख़िरत की फ़िक्र करो |

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15 JAN 2022 AT 15:57

नई शायरी, जरूर सुने. लिंक कमेंट मे है

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20 DEC 2021 AT 22:44

नहीं मांगता ए खुदा के ज़िदगी सौ साल कि दे|
चंद लम्हो कि सही मगर कमाल कि दे |

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15 DEC 2021 AT 7:52

....

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2 DEC 2021 AT 4:12

जब कभी अपनी ज़िंदगी में,अपनी मात चले!
कोई चले या ना चले,अपना हौसला साथ चले!!

ज़िंदगी का क्या भरोसा, आज है कल ना रहे!
आमाल अच्छे हो,ज़िंदगी के बाद भी बात चले!!

बहुत रोती है मेरी छत, फ़कत मेरी ग़ुरबत पर!
मुसलसल टपकाती हैं आँसू,जब बरसात चले!!

ज़िंदगी की ठोकरों ने,मुझको ख़ूब तर्जुबे हैं दिए!
उठाया हूँ बोझ ख़ाली ज़ेब का, वह हालात चले!!

मेरे बचपन का वह साथी, है ख़ूब अमीर मगर!
मेरी फ़ाकापरस्ती के सबब,मुझसे दो हाथ चले!!

ऐ ख़ाक सुख़नवर हैं हैरां,ऐसा कैसा लिखते हो!
यह देन है ख़ुदादाद, जैसे क़लम करामात चले!!

ख़ाक दखनवी

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