Parvesh Sharma   (Mr shayar(pRv))
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Joined 21 April 2018


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2 APR 2021 AT 6:53

बहुत दूर तक मैं भटकता रहा..
किसी अपने कि आस में..
जाने कितने दरवाजे खटखटाए..
एक खुले दरवाजे की तलाश में..
ज़िंदगी गुजर रही है लम्हा लम्हा
इक अजीब सी उलझन में..
पता नहीं कब तक भटकुंगा मृगतृष्णा सी प्यास में..
अधूरे ख्वाब बसे हैं आँखों के हर कोने में मेरे..
अरमानो ने तो दम भी तोड़ दिया पूरा होने की आस में..
मुकम्मल हो जाता गर इश्क मेरा ओ रहबर..
मैं तुझे जिंदा मिलता पुरे होश-ओ-हवाश में..

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12 JAN 2021 AT 10:28

तुम्हें नींद आती है कैसे बताओ हमको..
सोया कैसे जाता है तरीका सिखाओ हमको..
हम भी देखना चाहते हैं यार के बिना सपने..
एक बार पक्की नींद तो सुलाओ हमको..

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6 DEC 2020 AT 8:21

हर तरफ तुम्हें ढूँढता हूँ
क्यूँ अक्श नजर ना आए तेरा
तुमसे मिलने के बाद अब
अकेले दिल ना लागे मेरा

तुम आ जाओ फिरसे साथी
मेरा हर एक सांस तुम्हारा है
मौसम की पहली बारिश के जैसा
ये एहसास तुम्हारा है

तेरी संगत इत्र के जैसी
खुशबु तेरी परछाई है
आलिंगन मे लेके मुझको
मेरी जिन्दगी महकाई है
तूने प्यार की आस जगाई है
मेरे दिल के हर एक कोने में
मेरा खुदका कुछ ना रहा मुझमें
अब सब है तेरे होने में

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5 DEC 2020 AT 23:10

Ehsas h kya tumko meri tdpti hui chahto ka..
Kbi hath thamo meri dam tod ti khwahiso ka..
Armano ki asthiya smete baitha hua hun apne andar..
Koi ata pta nhi h muje ab rahto ka..

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3 DEC 2020 AT 20:03

चुरा तो लोगे यूँ नजर हमसे..
खुद से खुदको छुपाओगे कैसे..
गवाह है मोहब्बत के चांद सितारे..
उन सबको अब झूठलाओगे कैसे...
तुम मेरे हो मेरे ही रहोगे..
ये हक हमपे अब दिख लाओगे कैसे..
कहते थे तुम तो मुझे रूह अपनी..
अब रूह बिन जिंदा रह पाओगे कैसे..

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13 OCT 2020 AT 22:55

क्या कहूँ यारो आज की कुछ बात निराली है..
सुबह नींद भरी आँखों से पढी एक कव्वाली है..
उसके चेहरे का हर एक अल्फाज़ में पढ़ता चला गया..
रोकते रोकते खुदको उसकी ओर बढ़ता चला गया..
सांसे काबु ना रहीं मेरा पूरा शरीर कांप रहा था..
उसके इतने करीब होके दिल इंजन सा भाग रहा था..
कोशिश बहुत की मैं रोक ना पाया खुदको..
उसके चेहरे की चासनी में मैंने डुबाया खुदको..
मैं चोरी चोरी से उसको ताकता रहा .
थोड़ा ओर उसके करीब होके एकटक झांकता रहा..
ये खूबसूरत सी ख़ता जाने अनजाने मैं आज कर बैठा..
होश-ओ-हवाश गुम रहे मयखाने के दर बैठा..
पता नहीं कैसे ना चाहते उसे हाथ लगा बैठा..
जाने क्या शरारत सूझी उसका हाथ दबा बैठा..
इतना सुन्दर नजारा इक पल में ग्वा बैठा..
वो जाग गया नींद से मैं खुदको कोसता रहा..
क्यूँ जगाया उसको ये सोच बालों को अपने नोचता रहा..
खैर जो हुआ वो सब मेरी खता कहा थी..
वो जादू जानते है ये बात हमको पता कहां थी..

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6 OCT 2020 AT 12:31

चुरा तो लोगे यूँ नजर हमसे..
खुद से खुदको छुपाओगे कैसे..
गवाह है मोहब्बत के चांद सितारे..
उन सबको अब झूठलाओगे कैसे...
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे..
ये हक हम पे अब दिखलाओगे कैसे..
कहते थे तुम तो मुझे रूह अपनी..
अब रूह बिन जिंदा रह पाओगे कैसे..

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17 SEP 2020 AT 23:09

किसी को शिद्दत से चाहना अब ना हो पाएगा हमसे..
आसान कहा है ऐसे ज़ख्म को कुरेदना..
फिर भी अगर जिद्द है तेरी चोट खाने की..
मेरे दिल के कुछ टुकड़े हैं हाथ बचाकर समेटना..

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17 SEP 2020 AT 22:56

वक़्त बदलता रहता है..
हर दिन एक जैसा नहीं होता..
हम जैसा सोचते हैं हमेशा वैसा नहीं होता..
तेरे गले मिलने से भी सब ठीक हो जाता है मेरे दोस्त..
हर मर्ज की दवा पैसा नहीं होता..

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4 SEP 2020 AT 23:29

बेशर्म, बेहया और बेवफ़ा निकला..
सोचा था क्या वो क्या निकला..
समझता रहा उसको गुलाब अब तक..
वो तो गुलाब के पीछे कांटा निकला..
अब ख्वाब टूटे तो दोष किसको दूँ..
जो मेरा दग़ाबाज़ रहनुमा निकला..
लुटा दिया सब कुछ उसको पाने के खातिर..
मेरा प्यार मेरी चाहत सब बेवजह निकला..

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