Parvej Khan   (गाजियाबादी)
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Joined 1 April 2020


Joined 1 April 2020
25 APR AT 10:33

बिखर रहा हूँ मैं, क़तरा-क़तरा होके....
समेट ले मुझे आकर अपनी बाहों में कोई,

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2 APR AT 5:03

हमारे ग़ैर के हक़ में तुमने जो दुआ की होगी...
नाऊज़ुबिल्लाह, हमारे लिए तो बद् दुआ हो गई

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22 FEB AT 10:23

मेरा संघर्ष, कुरुक्षेत्र..
जीवन मेरा चक्रव्यूह वही,
इससे बाहर आने की बात तो दूर ही रही,
मैं इसमें जा सकूं, मैं तो अभिमन्यु भी नहीं..

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5 DEC 2023 AT 20:08

तुम्हें जानके,
हमने ये जाना...
नहीं जानना अच्छा था,
हम मिले,
हम मिले वो सब तो ठीक था,
मगर,
मिलके अजनबी हो जाना अच्छा था।

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25 NOV 2023 AT 20:22

तुम्हें जानके,
हमने ये जाना...
नहीं जानना अच्छा था।

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25 OCT 2023 AT 14:02

जो रिश्ते हम खुद बनाते हैं
उन्हे तोड़ना बहुत आसान है,
लेकिन जो रिश्ते खुद बनते हैं
उन्हे तोड़ना बहुत मुश्किल।

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2 OCT 2023 AT 20:54

हिंसा होने के बाद भी,
शान्ति स्थापित करने के लिए
अहिंसा ही एकमात्र मार्ग है...

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28 SEP 2023 AT 11:41

हम चाहते तो हैं, भगत सिंह पैदा हो
लेकिन, पडोसी के घर में...

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2 SEP 2023 AT 19:15

जिसपे गुजरे बस वही जाने,
बन्दा जाने, या खुदा जाने...

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2 SEP 2023 AT 18:52

कहते हैं सब कुछ खुदा की मर्ज़ी से होता है
सब कुछ करता वही अता है,
गर हो जाए मुझसे कोई गुनाह
इसमे मेरी गलती क्या मेरी खता है ?...

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