रात सोचती रही और सोचते सोचते सुबह आ गई।। पीली किरणों के साथ आँखो मे नमी छा गई। आँखो ने पूछा सुबह से इतनी देरी कहा हुई है। जवाब उसका था कि मेरे देर से आने से तेरी आँख कयूं रोई है। पोँछ मेरे आँसूओ को उसने इक नई उम्मीद जगाई है। अँधेरो से गुजरते हुऐ वो सिर्फ मेरे लिए आई है। तेरे हौंसलो के सदके मैने ये दोस्ती निभाई है। थोड़ी देर हुई तो तू क्यूं घबरा गई। इतना कहके मेरी सुबह मुसकुरा गई। रात सोचती रही और सोचते सोचते सुबह आ गई।।
चलो इक नई शुरूआत करते है, नये साल पर कुछ नई बात करते है।। तुम भूल जाओ मेरी गलतियो को और मै भी कोई शिकवा न रखूं। चलो गुजरे साल के साथ गुजर जाए गम, ऐसे हालात करते है। कुछ नजरअंदाज करके बेवफाईयों को; बीते साल की कुछ वफाऐं याद करते है। हम बैठे आमने सामने और चेहरे पे सिर्फ हँसी हो, नऐ सफर मे पुरानी रंजिशे नाकाम करते है। चलो इक नई शुरूआत करते है; नये साल पर कुछ नई बात करे है।।