Parv Chaudhary🔹   (💔पर्व)
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Joined 29 June 2019


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Joined 29 June 2019
25 FEB 2021 AT 9:35

ये रोशनी आंखों को चुभने लगी है पर्व!
अब अंधेरे से दोस्ती करना वाजिब है मेरा!💔

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21 FEB 2021 AT 9:16

दिखता जो हर शख्स खुशमिजाज है,
एक दिन बहुत रोने वाला है!
पर्व.. उसके हाथों की मेहंदी बता रही है,
वो जो मेरा था, अब किसी और का होने वाला है!💔

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11 FEB 2021 AT 18:21

Hh h

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10 FEB 2021 AT 19:17

पर्व.... सुना है आज फिर एक नया DAY आया है!
मैं खड़ा रहा अपना टूटा दिल लिए इंतजार में जिसके,
वो Teddy के बदले किसी को जिस्म दे आया है!💔

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29 DEC 2020 AT 13:01

जाने किसके हाथ में थे पत्ते मेरी जिंदगी के?
मुझे मिला जोकर के ताश के सिवा कुछ भी नहीं!
और इतनी शिद्दत से क्या ढूंढ रहे हो मुझ में?
पर्व!.. मैं जिंदा लाश के सिवा कुछ भी नहीं!!

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19 DEC 2020 AT 12:36

उसे भूल जाना होगा आसान बेशक!
पर्व! इतना आसान काम हमसे नहीं होगा।💔

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18 DEC 2020 AT 14:56

कौन जानता है उन आंखों में क्या था "पर्व"?
हम तैर सकते थे मगर डूबना बेहतर लगा!

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11 OCT 2020 AT 10:26

मेरी हालत अब और बिगड़ने लगी है "पर्व"
सुना है मेरा 'मरहम' शहर जा चुका है!!💔

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2 OCT 2020 AT 17:04

ए खुदा अच्छा होता,
गर मुझपर भी तेरी नजरें "रहम" होती !
देखता हूँ भरी कलाईयाँ दोस्तों की तो सोचता हूँ,
काश मेरी भी कोई "बहन" होती !!😥

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15 AUG 2019 AT 14:48

मत समझो इसको तुम आजादी, य़े तो सिर्फ एक झांकी है
लड़कियां है बस एक खिलौना, य़े सोच आजाद होनी अब भी बाकी है
कोई है तुम्हारी बहन यहां, तो किसी की उम्र तुम्हारी माँ की है
जरा उसकी तो शर्म करो तुम गिद्धों, जिसकी तुम्हारी कलाई पर राखी है
बस कपड़ों को देते सब दोष यहां, अपनी नजरों की किसी को फिक्र नहीं
उस छोटी बच्ची ने क्या पहना था, इसका कहीं भी जिक्र नहीं
वो ऊपरवाला सब देख रहा, अब तो अच्छे कर्म करो
तुम्हारी भी तो बहन है ऐसी, थोड़ी सी तो शर्म करो
घुट-घुट कर जीना क्या होता है, इन्हें जब ही समझ में आएगा
इन जैसा ही नोचेगा इनको, जब खुदा इन्हें भी लड़की बनाएगा.!!

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