नंदी....
किया वर्षों तक प्रतीक्षा तुमने , या लीन थे भक्ति में शिव की
कोई देख नहीं पाया था अब तक, तुम पुज रहे थे नित दिन
तुमने खोया ही कब था की तुम्हे वो मिलेंगे, पर तुमने जिसे पाया है वो " महादेव " एक दिन मुझे भी मिलेंगे....
( मनु)-
देखो, मैं मांग रही हूं
आज मेरी आज़ादी
अब मुझसे सहा नहीं जाता
तुम्हारी घूरती नज़रें
कहां छुपूं मैं , तुम्ही बता दो
ओढ़ तो लिया दुपट्टा
अगर दुपट्टे से भी मेरे कुछ दिख जाता ...
तो छोड़ो ...
उस मासूम कली में क्या है
यही मुझे बता दो
बस, अब ये सहा नहीं जाता...
दे दो मुझे आज़ादी
बस तुम अपनी सोच बदल लो
वही मेरी आज़ादी....
मनु सिंह-
If u wonder how the beauty look like
Come to banaras
If you wonder how the Colour looks together
Come and see Banaras
If you wonder how the fragrance spread
Come and have a tea in Banaras
If u wonder how love happens
Come and live in Banaras..if u wonder how to think
spend an evening in Banaras
If you wonder how to live peacefully
Go with the crowd of Banaras
If you wonder how to be theist
Feel the aarti at dashaswmedh in Banaras
If you wonder how morning can musical
Come and experience subah-e-banaras
If you are afraid of death
Come and sit at Manikarnika in BANARAS
If you wonder how to fell in love with a city
Come and breath in Banaras..
- Manu Singh
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भक्त तो तेरे सारे है शिव, मैं तो तेरी दासी रे
सारे मांगे धन या दौलत, मैं तेरे दरस की प्यासी रे,
गंगा प्रिये तुम, पार्वती प्रिये
मेरे तो आराध्य प्रभु ,
सारे डूबे जग के रस में तू ठहरा वैरागी रे...
शशिशेखर शंभु तुम भोले
वामदेव हो अति प्यारे
त्रिलोकेश प्रभु गंगाधर तुम
अंबिकानाथ हे महादेव
उग्र रूप में महाकाल तुम
कृपानिधान सर्वज्ञ भी तुम
मेरे प्रिय तुम भोले शंकर
कहती तेरी दासी ये...
( मनु )-
The Air carries your fragrance
The flower carry your colours
The sky carries your peace
The Earth carries your mercy
And O Beloved God! You...
You carry the Whole
You are the infinite Whole
In all the scent and stench
In all the colour and discolour
In all the Saint and devil
In all young and old
In every tiny atom and soul
In shining stars and black hole
O Beloved ! You are in all.
Manu Singh-
पायल से भी मीठी है उन सख्त पत्थरों में लिपट कर आती
बूंदों की रिमझिम सी आवाज़
मनु ( पारुल)-
यही बैठी हूं मै
तुम्हारे इंतजार में
तुमने देखा नहीं मुड़ के
तुम्हारी खुशबू को अपनी सांसों में समेटे
तुमने सोचा ना हो ऐसे
अपनी आंखो में तुम्हारी तस्वीर कुछ इस तरह बसाए
तुम गए ही ना हो जैसे
टपकते आंसू को रोक के बैठी हूं
कहीं खो ना जाओ इनसे
अधूरी सी तुम बिन अब भी
वहीं बैठी हूं
तुम्हारे इंतजार में
मुड़ के देखा ही नहीं तुमने
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आज तुम्हारी तस्वीर देख , मेरे कलम उठे, पर फिर रुक गए,
समझ नहीं आया लिखूं तो लिखूं क्या?
कोई शब्द, कोई वाक्य ,कोई छंद, कोई अलंकार बयान नहीं कर सकते तुम्हारे दर्द,तुम्हारी भावनाओं को
अब तो पांव में पड़े छाले भी तुम पर तरस खा कर
फुट गए हैं,
अवश्य ही तुम्हारे अनचाहे पसीने को देख ही प्रकृति मां ने रूप बदला है, इस वैशाख, जेठ में भी उसने अपना रुख बदला है,
ये जो बड़ी बड़ी बातें लिखती मेरी कलम है,
ना ये तुम्हारे दर्द को समझेंगी और ना ही मैं घर बैठे तुम्हारी भावनाओं की दुहाइयां से सकूंगी,
तुम्हारे दर्द को सिर्फ तुम ही समझते हो
गर कोई समझता तो तुम यूं न रो रहे होते,
आज तुम्हे रोता देख ही प्रकृति मां भी रो रही है
वो जानती है , तुम मजदुर भी हो और मजबूर भी।
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ख़ामोश चेहरे और चमकती आंखों वाला
वो सितारा , ख़ामोशी से सब की आंखे नम कर
शुकून की नींद सो गया।
# इरफ़ान खान... 😞😞-