इक शाम काफ़ी,..
हसीन लग रही है,
जबसे उसका हाथ,..
मेरे हाथों में आया है..!!-
Let some things remain un... read more
ख़ामियां महज़ मुझमें हो.. ये ज़रूरी तो नहीं,
कभी ख़ुद से भी सवाल किया करो न..!!-
आजकल, बड़े ग़ैर से लगने लगे हो,
बताओ न किससे मिलने लगे हो !!
कभी समझ लेते थे ख़ामोशियां भी मेरी,
आजकल, सुन कर भी टालने लगे हो,
बताओ न किससे मिलने लगे हो !!
यूं तो उदासियां भी गंवारा नहीं थी मेरी,
आजकल, मेरे रोने पर भी ख़ामोश रहने लगे हो,
बताओ न किससे मिलने लगे हो !!
आजकल, तुम ग़ैर से लगने लगे हो,
बताओ न आख़िर किससे मिलने लगे हो!!-
कोरे कागज़ सी हूं मैं... कोई पढ़ ही न पाया मुझे,
खुली किताब हूं मैं...फिर भी कोई समझ न पाया मुझे!
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बड़ी किश्तों में गुज़र रही ..ये ज़िन्दगी,
एक बार में हिसाब कर दो न...!!
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मेरी बेरंगी दुनिया को जन्नत बनाया है तूने,
मेरे हर इक ग़म को अपनाया है तूने...
मैं अधूरी सी... बहुत ख़ामिया है मुझमें,
मेरी हर इक ख़ामियों को अपनाया है तूने..
यूं तो नहीं जानते मोहब्बत होती है कैसे..?
हर बार इस मोहब्बत को निभाया है तूने,-
ज़रा कुछ पल यहा बैठो तो,
तुम्हें जी भर के देखना है..
हजारों शिकायतें है तुम्हारी,
जो बस तुमसे ही कहना है..
मुद्दतों बीते तुम्हें बाहों में लिये,
ज़रा रुको न कुछ पल ,
तुम्हें बाहों में भरना है..!!
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ज़्यादे नज़दीकियां भी गवारा नहीं उन्हें,
वो अक्सर दूरियों के बहाने ढूंढते हैं..!!
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मेरी खामोशियों को पढ़ना तो तुम्हें आया ही नहीं,
महज़ उतना ही समझे तुम.. जितना मैंने कहा !!-
कैसे करूं मिन्नतें खुदा से,
कि वो तुझे.. मेरा लिख दे,
बिन तेरे.. मेरा वजूद ही क्या है..!!
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