" तू तो मेरा होकर भी "
तू होकर भी पास मेरे, फिर भी मेरे पास नहीं,
है कौन सा रिश्ता ये, जिसमें कोई एहसास नहीं !
मैं चाहूं तुझे बावरी सी, पर तुझे कोई परवाह नहीं,,
तू तो ढूंढे बहाने मुझसे दूर होने का, ये भी कोई बात हुई !!
चांद देखें चांदनी को, और मन ही मन मुस्काए है,
पर तू क्यूं न जाने देख मुझे, रुआसा होए जाए है !
राह ताकु मैं तो तेरी, पर तू तो मुझे भूले जाए है,
शायद खो गया है कुछ तो ऐसा, जो ढूंढे से भी न मिलाए है !!
दरम्यान नहीं रहा अब वो, जो एहसासों को गर्मी देता था,
रात होती थी काली फिर भी, आंखों में उजाला हुआ करता था !!
रहबर था तू तो मेरा, पर अब क्या है वो दिल पूछे जाए है,,
नहीं जवाब कोई मेरे पास, कैसा वक्त मंज़र दिखाए है !!
तू तो मेरा होकर भी, मेरा न कहलाए है !!-
Shayar/poet/writer
Co-au... read more
चलों इंतज़ार के लम्हों को, थोड़ा कम किया जाए
मिलें है जिनसे अब तक ख़्वाबों में, उनसे अब हकीकत में मिला जाए ||— % &-
"तन्हाई मेरी यूं ही"
कहानियों का दौर कुछ ऐसा था
मेरी हर कहानी में ज़िक्र तेरा हुआ करता था
तू रूठ जाता था तो दिल मेरा मनाता था
तेरी हर बात को सच कह जाता था
बड़ी मुद्दतों के बाद जो पाया था तुझे
खो ना दूँ तुझे डरती थी इसलिए खुद से
सोच पर अपनी मैं पाबंदी लगाया करती थी
रातों को जब तुझे अपनी बाँहों में नहीं पाया करती थी
अजीब सा सुरूर था तेरा, मुझ पर, मेरी रूह पर
की तेरी बेतुकी बातों पर भी मैं
दिल अपना हर बार हार जाया करती थी
मुस्कुरा जाया करती थी, जब जब तुझे देखा करती थी
आज बरसों बीत गए है तुझे देखें बिना
अब ना तेरी चाहत है न तू है मेरे पास
फिर भी धड़कने बढ़ सी जाती है मेरी
जब जब नाम तेरा तन्हाई मेरी यूं ही ले जाती है |||— % &-
पकड़ कर हाथ मेरा
चलोगे क्या
दर्द है सीने में
उसे समझोगे क्या
फ़ासलो को नजदीकियों
में बदलोगे क्या
बदलेगा जब मिजाज़ मेरा
मुझे मनाओगे क्या
काली रात में जब मैं ड़र से सहम जाऊंगी
बाँहों में लेकर ड़र भगाओगे क्या
तुम मेरे हो हमेशा
ये एहसास कराओगे क्या ||
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यूं तो बात न तेरी है, न बात मेरी है
समझो गर नज़रों के इशारे तो, हर बात तेरी मेरी है ||-
कौन कहता है तन्हा है हम,
खुद का साथ मिला तो बेहया है हम ||
लुटे है हम तो इस ज़माने से,
वरना मालामाल क्या कम थे हम ||
रुस्वाइयों का दामन अब छोड़ा है हमने,
उनसे मोहब्बत का दम भरना रहा कहा है अब ||
वो लौट गए एक दिन किसी और की बाँहों में,
और हमने उन्हें चाहना छोड़ा है कब ||
नहीं रही फ़िक्र अब उनका किसी और के हो जाने की,
वो रहे कब है किसी एक के होकर के अब |||-
शोर कुछ ऐसा है, तन्हाइयों में भी मेला है
नहीं कोई आस पास, यही है ज़िन्दगी तेरा एहसास ||-
"एक नई कहानी"
फिर से शुरू हो रही, एक नई कहानी है
बीत गया जो अब तक, वो बात पुरानी हुई
लिखें फिर से कुछ नए, खट्टे मीठे से अफ़साने
जिसमें ना हो कुछ पुराना, हो ऐसे एहसास सुहाने
भूली बिसरी बातें हुई, जो दर्द की साथी थी
नए युग को जिएँ अब, जैसे नई कोई जिंदगानी हुई
कारी अंधियारी रात को, हरा कर जो सवेरा हुआ
बुला रहा है बस तुझे, देने को उजाला नया
फिर से नई बात कर, फिर से नई शुरुआत कर
जो छूट गया है पीछे, उसका ज़िक्र ना इस बार कर...||-
मेरी ख़ामोशी को, इक तू ही तो समझता है...
लेती हूँ सांसें मैं तो, दिल तेरा धड़कता है ||-
उनसे इश्क़ करना भी, शायद मेरी कमजोरी थी,
उनका इंतजार करना भी, एक तक़दीर मेरी थी ||
💔💔💔-