" तू तो मेरा होकर भी "
तू होकर भी पास मेरे, फिर भी मेरे पास नहीं,
है कौन सा रिश्ता ये, जिसमें कोई एहसास नहीं !
मैं चाहूं तुझे बावरी सी, पर तुझे कोई परवाह नहीं,,
तू तो ढूंढे बहाने मुझसे दूर होने का, ये भी कोई बात हुई !!
चांद देखें चांदनी को, और मन ही मन मुस्काए है,
पर तू क्यूं न जाने देख मुझे, रुआसा होए जाए है !
राह ताकु मैं तो तेरी, पर तू तो मुझे भूले जाए है,
शायद खो गया है कुछ तो ऐसा, जो ढूंढे से भी न मिलाए है !!
दरम्यान नहीं रहा अब वो, जो एहसासों को गर्मी देता था,
रात होती थी काली फिर भी, आंखों में उजाला हुआ करता था !!
रहबर था तू तो मेरा, पर अब क्या है वो दिल पूछे जाए है,,
नहीं जवाब कोई मेरे पास, कैसा वक्त मंज़र दिखाए है !!
तू तो मेरा होकर भी, मेरा न कहलाए है !!
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